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    बैंकिंग सेवा से पहले ब्याज के चक्कर में फंसी बीसी सखी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 26 Aug 2021 05:17 PM (IST)

    संवाद सूत्र प्रतापगढ़ गांव के लोगों को गांव में ही बैंकिंग की सुविधाएं मिलें। उनको पैसा जम ...और पढ़ें

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    बैंकिंग सेवा से पहले ब्याज के चक्कर में फंसी बीसी सखी

    संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : गांव के लोगों को गांव में ही बैंकिंग की सुविधाएं मिलें। उनको पैसा जमा करने, निकालने, ऋण लेने आदि के लिए बैंकों का चक्कर न लगाना पड़े। इसके लिए सभी ग्राम पंचायतों में बीसी सखी (बैंक करेस्पाडेंट) की तैनाती हुई है। इनकी जिम्मेदारी है कि गांव के ऐसे लोग, जिनका खाता नहीं खुला है, वह खाता खोलें और उसमें पैसा जमा कराएं। अगर खाताधारक अपना पैसा खाते से निकालने के लिए आएं तो उनका तत्काल भुगतान कराएं। इससे पहले कि बीसी सखी के पद पर तैनात 1158 बीसी सखी बैंकिंग सेवा में सक्रिय हो पातीं कि इन्हें ब्याज के चक्कर में डाल दिया गया।

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    क्षेत्र के सभी ग्राम पंचायतों में बीसी सखी की तैनाती हुई थी, लेकिन अब कुल एक हजार 158 बीसी सखी ही काम कर रही हैं। इसमें से 703 की ट्रेनिग हो चुकी है। 437 का पुलिस वेरीफिकेशन हो चुका है। बीसी सखी के खाते में माह भर पहले 75 हजार रुपये भेजा गया। इसके बाद बैंक से यह पैसा बीसी सखी के खाते में ट्रांसफर हुआ। इसमें करीब 25 हजार रुपये बैंक में जमा कर दिया गया। जबकि बाकी के 50 हजार रुपये में डिवाइस समेत अन्य उपकरण खरीदे गए। जिस दिन बीसी सखी के खाते में पैसा आया। उसी दिन से ब्याज शुरू है। यह ब्याज चार प्रतिशत वार्षिक समूह के खाते में जमा करना होगा। यहीं से सबसे बड़ी मुश्किल शुरू हो गई। लालगंज क्षेत्र में अनीता और गौरा में मीरा बीसी सखी के रूप में काम कर रही हैं। इन दोनों का कहना है कि अभी उनका बहुत कम लोगों से संपर्क हुआ है। ऐसे में उनका ट्रांजेक्शन शुरू नहीं हो पाया है। जब तक उनकी तरफ से लोगों का खाता खुलवाने का काम शुरू नहीं किया जाता, तब तक उनका कमीशन नहीं बनेगा। यानि आय नहीं शुरू हो पाएगी। ऐसे में ब्याज देना उनके लिए एक समस्या होगी। इस बारे में डीसी एनआरएलएम डॉ. एनएन तिवारी का कहना है कि बीसी सखियों की ट्रेनिग चल रही है। पुलिस वेरीफिकेशन भी हो चुका है। कई महिलाएं काम भी करना शुरू कर दी हैं। अच्छा खासा कमीशन भी आने लगा है।

    - चार हजार रुपये मिलेगा मानदेय

    एनआरएलएम विभाग के अनुसार पूरी तरह से काम शुरू होने में कई माह लग सकते हैं। ऐसे में उनको दिक्कत न झेलना पड़े। इसके लिए उनको चार हजार रुपये मानदेय करीब छह माह तक मिलेगा। कमीशन न मिलने पर इस पैसे को वह ब्याज के तौर पर जमा कर सकती हैं।