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    प्रतापगढ़ में अमृत फल आंवला की पैदावार तो बढ़ी पर किसान मायूस, व्‍यापारियों की हो रही अच्‍छी आय

    By Jagran NewsEdited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Sat, 05 Nov 2022 05:09 PM (IST)

    प्रतापगढ़ में आंवले की खरीदारी करने के लिए डाबर झंडू बाबा रामदेव आदि कंपनियों के कर्मी मंडी में डेरा डाल दिए हैं। वह आंवला कारोबारियों से संपर्क करके बड़े पैमाने पर आंवला खरीद रहे हैं। फिलहाल किसानों से अधिक कमाई व्यापारियों की हो रही है।

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    प्रतापगढ़ में अच्छी पैदावार होने के बावजूद आंवले का दाम भी लगातार घटता जा रहा है।

    प्रतापगढ़, जेएनएन। प्रतापगढ़ जनपद के अमृत फल यानी आंवले की पैदावार पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अधिक हुई है, लेकिन किसानों को सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। इसे लेकर किसान मायूस हैं। कारोबारी मन मुताबिक दाम देकर किसानों से आंवला खरीद रहे हैं। आंवले की खरीदारी को डाबर, झंडू, बाबा रामदेव आदि कंपनियां कारोबारियों से बड़े पैमाने पर आंवला खरीद रही हैं। फिलहाल किसानों से अधिक कमाई व्यापारियों की हो रही है।

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    पिछले वर्ष से इस बार किसानों को कम दाम मिल रहा : प्रतापगढ़ में इस बार आंवले की पैदावार अच्‍छी होने से किसान उत्‍साहित थे कि उनकी आय बढ़ेगी। हालांकि वे मायूस इसलिए हैं क्‍योंकि उन्‍हें सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। कारोबारी मन मुताबिक दाम देकर किसानों से आंवला खरीद रहे हैं। आंवला किसानों को पिछले वर्ष इस बार से अधिक दाम मिला था।

    कंपनियों के कर्मियों ने डाला डेरा : आंवले की खरीदारी करने के लिए डाबर, झंडू, बाबा रामदेव आदि कंपनियों के कर्मी मंडी में डेरा डाल दिए हैं। वह आंवला कारोबारियों से संपर्क करके बड़े पैमाने पर आंवला खरीद रहे हैं। फिलहाल किसानों से अधिक कमाई व्यापारियों की हो रही है।

    13 हजार हेक्‍टेयर क्षेत्र में आंवले का बाग है : जनपद में लगभग 13 हजार हेक्टेयर में आंवले के बाग है। अच्छी पैदावार होने के बावजूद आंवले का दाम भी लगातार घटता जा रहा है। पिछले वर्ष जहां चकला 15 रुपये किलो था। वहीं मौजूदा समय में 10 रुपये किलो दाम है। इसी तरह से एन-7 18 से 14 रुपये प्रति किलो, लक्ष्मी-52 22 से 15 रुपये, फ्रांसीसी आठ रुपये में बिक रहा है।

    प्रतापगढ़ के आंवले की विदेशों में भी मांग : संडवा चंद्रिका के गोबरी के गिरधारी सिंह, मंगापुर के दान बहादुर, सराय दली विनय शुक्ल, पूरे पीतांबर के रामराज मिश्र बताते हैं कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार आंवले की अधिक पैदावार हुई है, लेकिन दाम काफी कम मिल रहा है। सबसे अहम बात यह है कि आंवले का उत्पाद लड्डू, बर्फी, कैंडी, चूरन, अचार, टाफी, मुरब्बा आदि की डिमांड कनाडा, अमेरिका सहित देशों में है। इसके अलावा देश के कोने-कोन तक इसकी खपत है।

    यहां की आंवले की वेराइटी अलग है : आंवले का पौधा भी राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में काफी पैमाने पर लगाया गया है। राजस्थान में काफी मात्रा में आंवले की पैदावार होने लगी है। हालांकि वहां और जनपद के आंवले की बैराइटी में काफी अंतर है। वहां का आंवला 15 दिन बाद खराब होने लगता है। जबकि यहां का आंवला कई माह तक खराब नहीं होता। मंडी सचिव विजय शंकर मिश्र ने बताया कि आंवले की खरीदारी शुरू हो गई है। 10 दिन बाद से खरीदारी में तेजी आएगी।

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