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    बंजर में बनाई क्यारी, गमक उठी फुलवारी

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 17 Apr 2017 10:53 PM (IST)

    रानीगंजकैथौला, प्रतापगढ़ : कुछ नया करने की सोच और प्रकृति से लगाव ने ऐसा जुनून पैदा किया कि बंजर में ...और पढ़ें

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    बंजर में बनाई क्यारी, गमक उठी फुलवारी

    रानीगंजकैथौला, प्रतापगढ़ : कुछ नया करने की सोच और प्रकृति से लगाव ने ऐसा जुनून पैदा किया कि बंजर में फूल खिल उठे। जिस जमीन पर घास नहीं उगती थी, धूल उड़ती थी, अब वहां तरह-तरह के फूलों की महक मन और आंखों को सुकून देती है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी पुष्पित-पल्लवित हो रहा है। नई पीढ़ी को भी पेड़-पौधों से दोस्ती का सबक मिल रहा है।

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    हरियाली के खिलखिलाने का यह नजारा लालगंज तहसील के मेढ़ावा गांव में देख हर कोई वहां कुछ पल ठहर जाने को मचल उठता है। मेढ़ावा तिराहा अब इस हरियाली के चलते जाना जाता है। इस गांव के सूबेदार ¨सह चौहान का पेड़ पौधों से गहरा रिश्ता है। पहले उक्त स्थान पर पीपल का छोटा सा एक पेड़ था। उसकी छाया में राहगीर रुककर थकान मिटाया करते थे, पर हवा के साथ रेह (धूल) उड़ने से लोग बहुत देर नहीं रुक पाते थे। राहगीरों की समस्या देख सूबेदार के पिता सजन ¨सह ने 1998 में वहां पर एक कुआं बनवाया व पौशाला चलवाया। उसी पानी के माध्यम से धूल उड़ने से रोकने का प्रयास भी किया, पर यह प्रयोग बहुत सफल नहीं हो सका। समय बीता सजन को दो संतान हुई। बड़े बेटे का नाम रखा सूबेदार व छोटे का तालुकदार। वह अपने दोनों बेटों को पहलवान बनाना चाहते थे। उन्हें युक्ति सूझी कि बेटों को इसी जमीन में अखाड़ा बनवाकर उस्तादों के जरिए दांव पेंच सिखाने लगे। बार-बार जमीन की गुड़ाई से जमीन सुधरना शुरु हुई उसमें, घास तक न उगी तो लगभग बीघे भर जमीन में बालू डलवाकर उसमें जिप्सम, जैविक खाद, डीएपी, गाय का गोबर पानी डालकर जमीन को उपजाऊ बनाकर ही दम लिया। 15 वर्षों के परिश्रम के बाद उक्त जमीन पर रंग-बिरंगे फूल खिल उठे। अब हर कोई प्रकृति के संग सेल्फी लेने को पहुंचता है। यही नहीं हाल ही में भोजपुरी कलाकारों ने अपने एलबम का भी यहां फिल्मांकन किया।

    इस बंजर की फुलवारी में तरह-तरह के फूल व औषधीय महत्व के पौधे भी हैं। मसलन साइकस, कैक्टस, गुड़हल की नौ किस्में, ढालिया, नागदमन, सर्पाकार क्रोमियम, गेंदा, रातरानी, चांदनी, कनेर, चमेली, चंपा, गुलाब, मोर पंखी, नारियल, रजनीगंधा, मीठी नीम आदि के पौधे लगे हैं। आयुर्वेद के महत्व वाले पौधे जैसे घृतकुमारी, तुलसी, साइकस, सुदर्शन, शमी, नींबू, करौंदा व फलदार पेड़ों में आम, खजूर शहतूत, केला आकर्षण का केंद्र है।