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    पीलीभीत टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों की दस्तक, वनकर्मियों ने रातभर की निगरानी

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 05:17 PM (IST)

    पीलीभीत टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों के आने से वन विभाग सतर्क हो गया है। वनकर्मियों ने रात भर हाथियों की निगरानी की और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए। हाथियों की दस्तक से वन विभाग में हलचल है और सुरक्षा के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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    संवाद सूत्र, जागरण, माधोटांडा। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ और भालू जैसे वन्य जीवों के अलावा अब नेपाली जंगली हाथियों की भी खूब दस्तक बनी हुई है। बाइफरकेशन के निकट पहुंचे जंगली हाथियों की निगरानी में रात भर वनकर्मी जुटे रहे। अभी भी हाथी हरीपुर रेंज में डटे हुए हैं।

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    नेपाल का जंगल पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटा होने के कारण यहां पर प्रतिदिन हाथियों का आना-जाना लगा रहता है। माधोटांडा सीमावर्ती क्षेत्र में शारदा नदी के पार तो प्रतिदिन हाथियों के झुंड पहुंच रहे हैं, लेकिन अब दो हाथियों ने महोफ और बराही वन क्षेत्र में दस्तक दे दी है। बुधवार शाम को दोनों हाथी बाइफरकेशन के निकट तक पहुंच गए थे।

    हाथियों ने हल्दीडेंगा के पास शाम को हरदोई नहर को पार करने का प्रयास किया, लेकिन मार्ग पर आवागमन होने से वह नहर के किनारे पर रुके रहे। अंधेरा होते ही दोनों हाथियों ने नहर को पार कर हल्दीडेंगा होते हुए आगे का रास्ता तय कर लिया। बराही रेंजर अरुण मोहन श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ रात भर हाथियों को ट्रेस करते रहे। रात्रि में ही दोनों हाथी टाइगर रिजर्व की हरिपुर रेंज में घुस गए। टाइगर रिजर्व में बार बार हाथियों के आवागमन से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि हाथी टाइगर रिजर्व में ही अपना ठिकाना बनाना चाह रहे हैं।

    कहीं हमेशा के लिए टाइगर रिजर्व में अपना बसेरा न बना लें हाथी

    पीलीभीत टाइगर रिजर्व में अब आए दिन नेपाल के जंगली हाथियों का आना-जाना हो रहा है। यहां पर हाथी आने के बाद जाने का नाम ही नहीं लेते हैं, क्योंकि उनको खाने व रहने के लिए अनुकूल वातावरण मिल जाता है। वर्ष 2022 में दो दर्जन हाथियों ने टाइगर रिजर्व में प्रवेश किया था। डेढ़ माह तक हाथियों ने टाइगर रिजर्व के जंगलों के किनारे फसलों को खूब नुकसान पहुंचाया था।

    उसके बाद से यहां पर बार बार हाथी आते रहे। हाल ही में कई दिनों से यहां पर अलग अलग वन क्षेत्रों में हाथियों की मौजूदगी देखी गई है। वन्यजीव प्रेमी यहां पर बार बार हाथियों के आने से यह कयास लगा रहे हैं कि हाथियों को टाइगर रिजर्व का वातावरण पसंद आ रहा है। हाथी टाइगर रिजर्व में ही अपना नया ठिकाना तलाश रहे हैं।

    पीलीभीत टाइगर रिजर्व में हाथियों के लिए पर्याप्त भोजन है। पानी की भी यहां पर बेहतर व्यवस्था है। हाथियों को गन्ना अधिक पसंद है और यहां पर गन्ना की खेती भी अधिक होती है। इसलिए जंगली हाथी टाइगर रिजर्व को स्वयं के लिए बेहतर माना रहे हैं। वर्ष 2022 में तराई को एलिफेंट कारीडोर घोषित किया गया था।

    इसमें, दुधवा, शाहजहांपुर, कतर्नियाघाट के अलावा पीलीभीत को भी शामिल किया गया था, लेकिन हाथियों के गलियारे के लिए यहां पर आज तक कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। नेपाल के जंगली यहां पर फसलों को बर्बाद करने के अलावा इंसानों पर भी हमला कर रहे हैं।

    हरिपुर की ओर हाथी निकल चुके हैं। वन विभाग की टीम लगातार हाथियों की लोकेशन को ट्रेस किया जा रहा है।

    - अरुण मोहन श्रीवास्तव, वन क्षेत्राधिकारी बराही।