आज नहाय खाय के साथ शुरू होगा छठ महापर्व
पीलीभीतजेएनएन तराई के जिले में छठ पूजा पर्व की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सोमवार को बिहार और पूर्वांचल से आकर यहां रह रहे परिवारों में नहाय खाय के साथ अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। सूर्यदेव की उपासना के इस महापर्व के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है। विशेष बात यह है कि इस पूजा अनुष्ठान के लिए तैयार किया जाने वाला प्रसाद घरों पर महिलाएं रसोई गैस पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे जलाकर पकाती हैं। पहले गेहूं को अच्छी तरह से धोकर सुखाया जाता है। फिर उस गेहूं को घर की चकिया से पीसते हैं। छठ पूजा में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। शहर में बरहा रेलवे क्रासिग के निकट स्थित सरोवर स्थल की सफाई का कार्य शुरू हो गया है। इसी सरोवर में घुटनों तक जल में खड़े होकर व्रती महिलाएं परंपरागत ढंग से अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं।

पीलीभीत,जेएनएन : तराई के जिले में छठ पूजा पर्व की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सोमवार को बिहार और पूर्वांचल से आकर यहां रह रहे परिवारों में नहाय खाय के साथ अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। सूर्यदेव की उपासना के इस महापर्व के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है। विशेष बात यह है कि इस पूजा अनुष्ठान के लिए तैयार किया जाने वाला प्रसाद घरों पर महिलाएं रसोई गैस पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे जलाकर पकाती हैं। पहले गेहूं को अच्छी तरह से धोकर सुखाया जाता है। फिर उस गेहूं को घर की चकिया से पीसते हैं। छठ पूजा में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। शहर में बरहा रेलवे क्रासिग के निकट स्थित सरोवर स्थल की सफाई का कार्य शुरू हो गया है। इसी सरोवर में घुटनों तक जल में खड़े होकर व्रती महिलाएं परंपरागत ढंग से अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं। उत्तराखंड बार्डर पर भी रहेगी छठ पूजा की धूम
मझोला : कस्बा के साथ ही आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले पूर्वांचल के परिवार छठ पूजा का महापर्व मिलजुलकर उत्तराखंड के बार्डर पर स्थित नहर के तट पर मनाते हैं। वहीं पर पूजा वेदी तैयार रहती हैं। ये वेदियां पक्की बनी हैं। जिनकी सफाई और रंगाई-पुताई का कार्य पर्व नजदीक आते ही शुरू हो जाता है। पूर्वांचल के परिवारों के साथ ही स्थानीय लोग भी अब छठ पर्व मनाने लगे हैं। ऐसे में महापर्व के दौरान नहर तट पर मेला जैसा नजारा रहता है।
पूरे साल भर तक छठ पर्व की प्रतीक्षा रहती है। विवि विधान से छठ मैया का पूजन करते हैं तो परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है। इस महापर्व के प्रति हमारे परिवार में बड़ी आस्था है।
सुनीता गुप्ता पिछले साल कोरोना महामारी के कारण छठ पर्व कुछ फीका अवश्य रहा लेकिन लोगों की आस्था में कहीं कोई कमी नहीं रही। छठ मैया से यही प्रार्थना करते हैं कि इस कोरोना जैसी महामारी का अंत करके सभी को स्वस्थ रखें।
सुनीता सिंह छठ माई इतनी शक्ति प्रदान कर देती हैं कि 36 घंटे के निर्जल व्रत के दौरान न तो कमजोरी लगती है और न ही किसी तरह की थकान। बस, मन में सिर्फ मैया की भक्ति समाई रहती है।
इंद्रावती चौरसिया जिन भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है, वे विशेष अनुष्ठान करते हैं। यह सूर्य की उपासना का पर्व है। इसमें अस्त होते और उदय होने के दौरान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर प्रार्थना करते हैं कि धरती पर सदैव उनकी कृपा बनी रहे।
कीर्ति विश्वकर्मा
नेपाल सीमा से सटे गांवों में पूजा की तैयारी
माधोटांडा : नेपाल सीमा पर बसे कई गांवों में पूर्वांचल से आए लोग लंबे समय से निवास कर रहे हैं। यहां पर छठ पूजा उत्सव की तैयारियों को लेकर क्षेत्र के लोगों में काफी उत्साह है। इन परिवारों की महिलाएं छठ पूजा में सम्मिलित रीति रिवाज को पूरा करने के लिए तैयारियों में जुटी हुई है। सीमावर्ती गांव बूंदी भूड़, सुंदरनगर, रमनगरा व पट्टा कालोनी समेत कई गांवों में पूर्वांचल के लोगों छठ पूजा प्रमुख त्योहार होने के कारण धूमधाम से मनाया जाता है। क्षेत्र में छठ पूजा की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। लोगों ने अपने घरों को साफ सफाई करके सजा लिया है। सोमवार को खरना के लिए महिलाओं ने विभिन्न प्रकार के पकवानों को बनाने के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। खरना में खासकर गुड और गन्ने के रस की खीर को महिलाएं बनाती हैं। इन पकवानों को महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाती हैं। हाथ वाली चक्की से महिलाएं आटा पीसती हैं। अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए महिलाएं छठ माता का व्रत रखती हैं। यहां पर शारदा नदी और जगुड़ा नदी के किनारे क्षेत्र की महिलाएं एकत्र होकर छठ माता की पूजा करती हैं।
खरना के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है। खीर और पकवानों को बनाने की तैयारियां हैं। इसको लेकर हम लोगों में काफी उत्साह है।
- इंद्रावती
छठ माता की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। इस उत्सव को हम लोग बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। छठ पूजा का साल भर इंतजार रहता है।
- सरोज
पिछले वर्ष कोरोना के चलते हम लोग छठ उत्सव को धूमधाम से नहीं मना पाए थे। इस वर्ष तैयारियां पूरी हैं जिसको लेकर क्षेत्र में काफी रौनक है।
- राधा
छठ माता का व्रत रखने से मनोकामना तो पूरी होती ही है साथ ही मन को बहुत ही आनंद मिलता है और परिवार में सुख शांति बनी रहती है। -रेखा
पूरनपुर : सोमवार से नहाए खाए के साथ छठ पूजा का महापर्व शुरू होगा। इसकी तैयारियां पहले से ही की जा रही थी। पर्व को लेकर पूर्वांचल के लोगों में उल्लास देखा जा रहा है।
हजारा क्षेत्र में पूर्वांचल के लोगों की कई कालोनी और गांव है। यहां छठ पूजा का विशेष महत्व रहता है। छठ बेदी की साफ सफाई के साथ पूजा की तैयारी शुरू हो गई है। 36 घंटे के कठोर व्रत का यह त्योहार विशेष महत्व रखता है। नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में दर्जनों गांव ऐसे हैं जिन गांव में अधिकांश लोग पूर्वांचल के निवास करते हैं। इसलिए यह त्योहार यहां भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा के लिए महिलाएं 36 घंटे का निर्जल व्रत रखती हैं। व्रत का उद्देश्य घर, परिवार और बच्चों व पति सहित अन्य स्वजन की सलामती खुशहाली हैं। छठ पूजा के लिए क्षेत्र के नदी, सुतिया नाला, पोखर तालाब के किनारे बनी वेदी की साफ-सफाई का कार्य पूरा कर लिया गया है। छठ पूजन के दिन महिलाएं सज धज कर पूजन सामग्री, सिर पर डाल रखकर पारंपरिक मंगल गीत गाते हुए छठ वेदी तक पहुंचती हैं। जहां अस्त होते सूर्य के पूजन के पश्चात अगले दिन प्रात: उगते सूर्य देव की आराधना की जाती है। सोमवार को खरना के साथ छठ पूजन का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। घुंघचाई क्षेत्र में भी छठ पूजा को लेकर धूम शुरू हो गई है।
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