पीलीभीत के लोहरपुरा में ट्रेंक्युलाइज कर पकड़ा जाएगा बाघ, दो महीने से गांवों में घूम रहा
पीलीभीत में जंगल से निकलकर गन्ने के खेतों में बाघ ने अपना आशियाना बना लिया है, जिसे अब ट्रेंकुलाइज करके पकड़ा जाएगा। वन विभाग को शासन से इसकी अनुमति म ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पीलीभीत। जंगल से निकलकर गन्ने के खेतों में सुरक्षित आशियाना बना चुके बाघ को ट्रेंकुलाइज कर पकड़ा जाएगा। इसके लिए वन विभाग को शासन से अनुमति मिल गई है।
ट्रेंक्युलाइज के लिए चार सदस्यीय टीम गठित की गई है। अधिकारियों ने रेस्क्यू आपरेशन की प्रक्रिया शुरु कर दी है। रविवार रात बाघ का मूवमेंट पिंजरे से डेढ़ किलोमीटर दूर खेतों में ट्रेस किया गया।
पीटीआर की बराहीं रेंज के जंगल से निकला बाघ बीते दो माह से पताबोझी, टांडा छत्रपति, अर्जुनपुर, भवानीगंज, भगवंतापुर, खीरी नौबरामद सहित एक दर्जन गांवों में विचरण कर रहा है। बाघ दिन के उजाले में गन्ने के खेतों में छुपा रहता है। शाम होते ही आबादी के आसपास घूम रहे बेसहारा पशुओं को निवाला बना रहा है।
इन दिनों किसान खेतों में खड़े गन्ने की छिलाई और गेंहू की सिंचाई का कार्य कर रहे हैं। बाघ के मूवमेंट से कृषि कार्य प्रभावित हो रहा है। इससे ग्रामीणों में भारी रोष है। वन विभाग की ओर से बाघ को ट्रेंक्युलाइज कर पकड़ने के लिए शासन को पत्राचार किया गया था।
इसमें वन विभाग ने खेतों में सिंचाई के बाद उपयोग हो रहे रासायनिक खाद, कीटनाशक युक्त पानी के सेवन से बाघ के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका जताई थी। गंभीरता को देखते हुए शासन ने बाघ को ट्रेंक्युलाइज (बेहोश) कर पकड़ने की अनुमति दे दी है। इसके लिए चार सदस्यीय टीम गठित की गई है।
जिसमें वन एवं वन्य जीव प्रभाग प्रभागीय निदेशक डा. भरत कुमार, पशु चिकित्सक डा. दक्ष गंगवार, सामाजिक वानिकी उप प्रभागीय वनाधिकारी रमेश चौहान, सामाजिक वानिकी रेंजर सोबरन लाल को शामिल किया गया है।
वनाधिकारियों ने बाघ को पकड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है । वन विभाग की ओर से बाघ को पकड़ने के लिए गांव लोहरपुरा में एक पिंजरा लगाया गया है। हालांकि बाघ रविवार रात पिंजरे के पास नहीं पंहुचा। वन विभाग दो पिंजरा लगाकर बाघ को कैद करने का प्रयास करेगा।
बाघ को ट्रेंक्युलाइज कर पकड़ने की अनुमति मिल गई है। शासन की ओर चार सदस्यीय टीम गठित की गई है। प्रथम चरण में बाघ को पिंजरे में कैद करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए बाघ मूवमेंट वाले स्थान पर दो पिंजरे लगाए जाएंगे। इसके बाद भी सफलता न मिलने पर टीम के साथ आपरेशन चलाकर बाघ को ट्रेंक्युलाइज किया जाएगा।
डा. भरत कुमार डीके, प्रभागीय निदेशक वन एवं वन्य जीव प्रभाग

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