मातृ और देवभाषा के उत्थान को समर्पित हैं पंडित राम अवतार शर्मा
पूरनपुर (पीलीभीत) : वह सरकारी सेवा से मुक्त होकर मातृभाषा के साथ ही देवभाषा के प्रचार-प्रसार
पूरनपुर (पीलीभीत) : वह सरकारी सेवा से मुक्त होकर मातृभाषा के साथ ही देवभाषा के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं। स्कूलों से भी उन्होंने रिश्ता कायम रखा है तभी तो नियमित रूप से विभिन्न स्कूलों में पहुंचकर बच्चों को पढ़ाने के साथ ही शिक्षकों को प्रशिक्षण भी देने लगते हैं। हम बात कर रहे हैं नगर के मुहल्ला कायस्थान में रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक पंडित राम अवतार शर्मा की।
श्री शर्मा ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 1972 में शेरपुर के किश्वरजहां स्कूल से शिक्षक के रूप में सेवा कार्य शुरू किया था। वर्ष 1984 में वह नगर के गुरुनानक इंटर कॉलेज में ¨हदी प्रवक्ता के रूप में तैनात हुए। कई विषयों में स्नातकोत्तर के साथ बीएड की योग्यता के चलते वर्ष 1997 में बेसिक शिक्षा परिषद में शिक्षक के रूप में चयन हो गया। वहां उन्हें जूनियर स्कूल के प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति तो मिली ही, साथ ही संकुल प्रभारी के रूप में स्कूलों के निरीक्षण की जिम्मेदारी विभाग ने सौंप दी। पूरे सेवाकाल में वह अपनी साइकिल लेकर सुबह होते ही घर से निकल जाते और विद्यालय समय से पहले ही पहुंच कर अभिभावकों से भी संपर्क कर लेते। कभी भी शिक्षण कार्य में कोई कोताही न बरतने वाले रामअवतार ने बच्चों को सरकारी सुविधाएं दिलवाने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वर्ष 2014 में वह सेवानिवृत्त हुए। घर पर उनका मन नहीं लगा। रिटायर होने के बाद भी वह स्कूलों में जाकर पढ़ाने लगते हैं। वर्ष 2015 में सपहा में खुले पंडित जियालाल हायर सेकेंडरी स्कूल में अवैतनिक सेवाएं देते हुए प्रधानाचार्य पद स्वीकार किया। बच्चों को ¨हदी और संस्कृत पढ़ाने के साथ ही अंग्रेजी भाषा में भी पारंगत करने की जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी निभाई। आज भी वह बच्चों के बीच पहुंचकर पढ़ाने को अच्छा समझते हैं। उनका कहना है कि जब तक बच्चों को पढ़ा नहीं लेते, तब तक कुछ अच्छा ही नहीं लगता। बच्चों में नैतिकता, अच्छे संस्कार विकसित करने के साथ ही वह स्वच्छता व समय पालन पर खास जोर देते हैं। आजकल के शिक्षकों को देर से स्कूल पहुंचते और समय से पहले वापस आते देख कर वह द्रवित हो जाते हैं। कहना है कि आजकल के शिक्षकों में जहां समर्पण की कमी है वहीं प्रशासन की योजनाओं की इतनी अधिक जिम्मेदारी शिक्षकों के सिर पर डाल दी गई है कि वह मूल कार्य से भटक रहे हैं। उनके अनुसार सरकारी योजनाओं के संचालन की जिम्मेदारी अलग से स्टाफ तैनात कर दी जानी चाहिए , तभी शिक्षा की गुणवत्ता सुधर सकेगी। संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए अपने घर पर संस्कृत व ¨हदी की मुफ्त शिक्षा डिग्री व शोध के छात्रों को प्रदान करते हैं।
बेटे को दारोगा की ट्रे¨नग पर न भेज कर बनाया शिक्षक
राम अवतार शर्मा के छोटे पुत्र सौरव का चयन उत्तर प्रदेश पुलिस में उप निरीक्षक पद पर हो गया था। इसी बीच बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पद पर भी सौरव का चयन हुआ। ऐसे में सौरभ असमंजस में पड़ गए कि वह दरोगागिरी करें या मास्टरी। ऐसे में ¨हदी प्रेमी शिक्षक पिता ने पुत्र को शिक्षक बनाने की राह पर मोड़ दिया, जबकि कई इष्ट मित्र रिश्तेदार उनसे कहते रहे कि दरोगागिरी में अच्छी कमाई है लेकिन शुरू से ईमानदार छवि के शिक्षक रहे श्री शर्मा ने लोगों की इस बात की सलाह को नकारते हुए कहा कि जो मान सम्मान शिक्षक को मिलता है वह दारोगा क्या एसपी को भी नसीब नहीं हो सकता।
मास्टर ट्रेनर के रूप में शिक्षकों को दिया ज्ञान
वह शिक्षक के अलावा बेसिक शिक्षा विभाग में मास्टर ट्रेनर भी रहे। बीआरसी पर होने वाली शिक्षकों की ट्रे¨नग में वह पठन पाठन की बारीकियां शिक्षकों को सिखाते रहे। अभी भी जब कहीं चर्चा होती है तो वह गुरु ज्ञान देना नहीं भूलते। कई स्कूलों के शिक्षक उन्हें गुरुजी कहकर ही बुलाते हैं। पढ़ाए कई बच्चे अच्छी पोस्ट पर हैं और आज भी पूरा सम्मान देते हैं।
¨हदी कविता के गुरु माने जाने वाले श्री शर्मा देवनागरी उत्थान परिषद के
अध्यक्ष हैं और वरिष्ठत होने के कारण कवि सम्मेलनों की अध्यक्षता कर रहे हैं। ¨हदी व संस्कृत के घनाक्षरी छंद पसंद किए जा रहे हैं।
ज्योतिष पर पकड़, निकाल रहे पर्व दीपिका
रिटायर्ड शिक्षक की ज्योतिष पर भी अच्छी पकड़ है। वह कुंडली बनाने व
देखने में भी पारंगत हैं। 12 साल से वह व्रतोत्सव पर्व दीपिका नाम की ज्योतिष की पत्रिका निकाल रहे हैं। इसका प्रकाशन कराकर निश्शुल्क वितरण उनके द्वारा कराया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा की विशेष जानकारी भी श्री शर्मा को है। उनका कहना है कि ज्योतिष, संस्कृत व आयुर्वेदिक हमारी प्राचीन संस्कृति की पहचान हैं और इन्हें कायम रखना हम सब की जिम्मेदारी है। इसी उद्देश्य को लेकर वह इनको प्राथमिकता देने में जुटे हुए हैं।
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