राम ने किया अहंकारी रावण का वध
दियोरिया (पीलीभीत) : रामलीला मेला में मंगलवार को दशहरा महोत्सव मनाया गया। ...और पढ़ें

दियोरिया (पीलीभीत) : रामलीला मेला में मंगलवार को दशहरा महोत्सव मनाया गया। हजारों मेलार्थियों के जनसमूह ने मेला ग्राउंड में अहिरावण व रावण वध लीला के मंचन का आनंद लिया।
वंशजों के लगातार मारे जाने पर लंकाधिपति रावण ¨चतित हो जाता है और अपने महाबलिशाली पाताल लोक के राजा अहिरावण के पास जाकर उन्हें राम से युद्ध करने को भेजता है। अहिरावण विभीषण का रूप धारण कर राम के शिविर में पहुंच जाता है। सभी वानरों को सम्मोहन मंत्र से बेहोश कर राम-लक्ष्मण को चुराकर पाताल लोक ले जाता है और अपनी यज्ञशाला में दोनों भाइयों की बलि चढ़ाने के लिए यज्ञ करता है। पवन पुत्र हनुमान पाताल लोक पहुंच जाते हैं। द्वार पर उनके ही अंश मकरध्वज उन्हें रोकने का प्रयास करते है और दोनों के बीच घमासान युद्ध होता है। युद्ध में हनुमान मकरध्वज को परास्त कर बंदी बना लेते हैं और बाद में अहिरावण की सारी शक्ति क्षीण कर तथा उसका वध कर राम, लक्ष्मण को सकुशल शिविर में ले आते हैं। अहिरावण की मृत्यु का समाचार पाकर रावण गुस्से से क्रोधित हो उठता है और स्वयं ही रणभूमि में राम से युद्ध करने पहुंच जाता है। रावण आग्नेयास्त्रों से राम की वानर सेना को पछाड़कर भगाने लगता है राम अपने वाणों से रावण के सिरों व भुजाओं को काटकर धरती पर गिरा देते है। कटी भुजाओं व सिरों की जगह नये सिर व भुजाएं पुन: बन जाते है, जिसे देखकर राम ¨चतित हो उठते है। विभीषण से रहस्य हासिलकर राम एक साथ 31 वाण छोड़ते है। रावण के दसों शीश, बीसों भुजाएं तथा 1 वाण उसके नाभि में लगता है, जिससे नाभि का अमृत सूख जाता है जिससे वह कटे वृक्ष की तरह वह धरती पर गिर पड़ता है। बाद में मेला ग्राउंड में खड़ा किया गया रावण का पुतला जलाया गया। व्यवस्था में महीप ¨सह, सुभाष शुक्ल, राजवीर ¨सह, विजेंद्रपाल, नवनीत ¨सह, सतीश गुप्ता आदि का विशेष सहयोग रहा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।