किसानों के लिए वरदान वैज्ञानिक फार्मूला
पीलीभीत : खाद की बढ़ती कीमतों से किसान अब बेफिक्र हो जाएं। कृषि वैज्ञानिकों ने कम लागत में अधिक पैदावार का फार्मूला इजाद किया है। बस जरूरत है उस पर अमल की। इससे न केवल किसानों की उर्वरक लागत आधी हो जाएगी। बल्कि बीमारी मुक्त फसल भी पैदा होगी। साथ ही उत्पादन में पंद्रह से बीस प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी होगी। सफल प्रयोग से उत्साहित कृषि महकमा विभाग के सभी में प्रदर्शनों में इसे शामिल करने लगा है।
दरअसल अभी तक किसान धान, गेहूं गन्ना की फसल में सीधे खाद की बौछार करते थे। पर अब खाद की बौछार के बजाय, स्प्रे करें। इफको द्वारा तैयार जल विलय एनपीके 18,18,18 में नाइट्रोजन, फासफोरस और पोटाश बराबर मात्रा में मौजूद हैं। धान गेहूं की एकड़ भर फसल में तीन बार में मात्र छह किलो जल विलय एनपीके का स्प्रे करना होगा। जल विलय उर्वरक के स्प्रे से एकड़ में महज 25 किलो यूरिया डालनी होगी। फायदा यह होगा, कि एक तो एकड़ पर एनपीके बारह बत्तीस सोलह की आवश्यकता आधी रह जाएगी। जल विलय उर्वरक के स्प्रे से फसल के पत्तों और पौधों तक ही खाद का असर जाएगा। इससे फसल में बीमारी कम पनपेगी। किसानों द्वारा किया जा रहा खाद का बेजा इस्तेमाल भी रुक जाएगा। कृषि विभाग ने जल विलय उर्वरक को अपने तमाम प्रदर्शनों में शामिल किया है। रिजल्ट बेहद सकारात्मक आया। खाद की लागत में छह सौ रुपए की कमी दर्ज हुई है। साथ ही फसल की उत्पादकता में पंद्रह से बीस प्रतिशत की बढ़ोत्तरी सामने आई है। इससे उत्साहित कृषि महकमा अब इसे किसानों तक पहुंचाने में जुट गया है।
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जल विलय उर्वरक किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। खासकर तराई बेल्ट में। स्प्रे करने से खाद फसल के पौधों तक ही पहुंचती है। लिहाजा किसान जल विलय उर्वरक का इस्तेमाल करें। उत्पादन बढ़ेगा। बीमारी कम होगी। मेहनत बचेगी। उर्वरक की लागत भी घटकर आधी हो जाएगी।
एके सिंह
उप कृषि निदेशक
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एनपीके जल विलय उर्वरक का उपयोग
एकड़ भर फसल में छह किलो उर्वरक का तीन बार में स्प्रे करें। पहला स्प्रे दो किलो का होगा। फसल बुआई या रोपाई के ठीक पैंतीस दिन बाद स्प्रे करें। दो सौ लीटर पानी में दो किलो उर्वरक डालकर घोल बनाएं। दूसरा स्प्रे फसल में फूल आने के सप्ताह भर पहले करें। यहां भी दो किलो उर्वरक का दो सौ लीटर पानी में घोल बनाएं। तीसरा स्प्रे फसल में दाना पड़ने यानी मिल्किंग स्टेज पर करें। इस तरह छह किलो उर्वरक का तीन बार में दो दो किलो का घोल बनाकर करना होगा।। --------------
फायदे
-अन्य खादों की कम आवश्यकता
-पैदावार में पंद्रह से बीस फीसदी बढ़ोत्तरी
-फसल में बीमारी की कमी
-मजदूरी और मेहनत कम
-जमीन के बजाय फसल तक पहुंचेगी खाद
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