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    लैपटॉप सूची में सेंध

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    Updated: Thu, 15 Aug 2013 12:38 AM (IST)

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    जागरण संवाददाता, पीलीभीत : मुख्यमंत्री की लैपटॉप योजना में वितरण से पहले ही पारदर्शिता में सेंध लगने की लापरवाही उजागर हो गई। खास बात यह कि शासन से पास होकर आने वाली लैपटॉप वितरण सूची में तीनों ही अपात्र छात्र-छात्राओं के नामों को हर स्तर पर लैपटॉप मिलने को हरी झंडी मिलती चली गई। किसी भी जिम्मेदार ने नामों को क्रास चेक करने की जहमत नहीं उठाई। मामला जिलाधिकारी अदिति सिंह के संज्ञान में आते ही उन्होंने बिना देरी किए जांच बिठा दी। जिसमें यह तथ्य उजागर हो गया कि तीन व्यक्तिगत (प्राइवेट) छात्र-छात्राओं के नाम लैपटॉप वितरण सूची में शामिल कर लिस्ट शासन को फारवर्ड की गई।

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    यह वाक्या उपाधि महाविद्यालय का है। यूएमवी में स्नातक के तीनों संकायों में 1040 सीटें हैं। लैपटॉप के लिए जिविनि को 1033 स्टूडेंट की सूची भेजी गई थी। उसके बाद शासन से फरमान आया कि छात्र-छात्राएं लैपटॉप के लिए आवेदन पत्र जमा करेंगे। लिहाजा यूएमवी से 892 स्टूडेंट के आवेदन पत्र जिविनि को मुहैया करा दिए गए। तब 148 स्टूडेंट आवेदन से वंचित रह गए। इसमें कईयों तो ऐसे सामने आए जिन्होंने आवेदन किया। मगर उनके आवेदन पत्र जिविनि तक नहीं पहुंच सके और कॉलेज में ही गुम होकर रह गए। दैनिक जागरण की पहल पर जिला प्रशासन ने वंचित स्टूडेंट को लैपटॉप दिलाने के लिए दुबारा से आवेदन पत्र जमा करने का मौका दिया। ताकि दूसरे चरण में वंचित पात्र स्टूडेंट को लैपटॉप दिलाया जा सके। अब जबकि 19 अगस्त को लैपटॉप वितरण समारोह का कार्यक्रम घोषित हो गया। तब एक शिकायत हुई की यूएमवी से बीए के तीन स्टूडेंट आकाश, मीना और प्रेमवती प्राइवेट स्टूडेंट हैं। बावजूद इसके न केवल इन्हे लैपटॉप वितरण सूची में शामिल किया गया। बल्कि लैपटॉप मिलने के लिए शासन से इनके नामों पर मुहर भी लगकर आ गई। योजना की पारदर्शिता बनाए रखने की तत्परता दिखाते हुए जिलाधिकारीे ने डीडीओ एके सिंह चंद्रोल व मनरेगा उपायुक्त डॉ. शिवाकांत द्विवेदी की संयुक्त जांच टीम गठित कर जांच कराई। जांच अधिकारी डॉ. द्विवेदी ने बताया कि तीन प्राइवेट स्टूडेंट के नाम लिस्ट में शामिल पाए गए हैं। लैपटॉप आवेदकों की सूची को क्रास चेक किया गया है। हालांकि यह पहेली बना हुआ है कि प्राइवेट छात्र-छात्राओं के आवेदन पत्र किसने लिए। कैसे पास हुए।

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