पीलीभीत में अनदेखी और बदहाली से झाड़-झंखाड़ से पट गई गोमती नदी
लखनऊ की जीवन रेखा कही जाने वाली गोमती नदी आज अनदेखी और बदहाली का शिकार है। नदी के किनारे झाड़-झंखाड़ उग आए हैं, जिससे उसकी सुंदरता कम हो गई है। प्रशासन की उदासीनता के कारण स्थिति और भी खराब होती जा रही है, जिससे जलीय जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है। पर्यावरणविदों ने सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
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गोमती उद्गगम स्थल
संवाद सूत्र, जागरण, घुंघचाई (पूरनपुर)। सूबे की राजधानी लखनऊ की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली गोमती नदी आज भी अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है। नदी की खोदाई और साफ सफाई कराकर अविरल धारा बहाने के लिए कई योजनाएं और अभियान चले, जिन पर करोड़ों रुपये खर्च हुए। लेकिन कोई भी योजना और अभियान धरातल पर परवान नहीं चढ़ सका। जिम्मेदारों की उदासीनता और लापरवाही से नदी में खरपतवार और गंदगी फैली हुई है। अतिक्रमण के चलते नदी सिकुड़ती जा रही है।
पौराणिक गोमती नदी का उद्गम स्थल तहसील कलीनगर के माधोटांडा में स्थित है। यहां से निकलने के बाद गोमती शाहजहांपुर, सीतापुर के अलावा कई जनपदों में होते हुए लखनऊ में विकराल रूप में नजर आती है। उपेक्षा के चलते नदी सिर्फ़ उद्गम स्थल तक सिमट कर रह गई है। नदी माधोटांडा से जनपद सीमा तक 41 किलोमीटर का जिले में सफर तय करने के बाद शाहजहांपुर में प्रवेश करती है।
गोमती की खोदाई और साफ सफाई कर अविरल धारा बहाने के लिए कई योजनाएं चलाई गई। कई बार अभियान चले। योजनाओं के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए। लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता और लापरवाही के चलते सभी योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रह गई। वर्ष 2022 में जिले के तात्कालीन डीएम पुलकित खरे ने नदी में अविरल धारा बहाने के लिए अभियान चलाया। नदी की साफ सफाई कराई।
डीएम ने माधोटांडा से जनपद की सीमा तक 16 पक्के घाट बनवाए। नदी की साफ सफाई और रखरखाव की जिम्मेदारी के अलावा सभी घाटों पर प्रति दिन आरती कराने का आदेश दिया। डीएम के स्थानांतरण आदेश को ताक में रखकर अपनी जिम्मेदारी भूल गए। उदासीनता और मनमानी से अब घाटमपुर के त्रिवेणी घाट सहित कई जगह नदी की अविरल धारा खरपतवार, झाड़ियों और जलकुंभी के नीचे दबाकर सिसक रही है।
नदी की जमीन पर अवैध अतिक्रमण होने से नदी सिकड़कर नाले के रूप में दिखाई दे रही है। नदी की सफाई न होने गंदगी फैली हुई है। बड़ी बड़ी झाड़ियां उग आने से नदी विलुप्त होती जा रही है। नदी को कब्जा मुक्त कराकर अविरल धारा बहाने का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है। इससे गोमती भक्तों में रोष है।
गोमती नदी की सफाई की जिम्मेदारी ब्लाक के अधिकारियों की है। अगर वह लोग सफाई कराने के लिए आगे आते हैं तो पैमाइश कराकर नदी की जमीन से अवैध कब्जा हटवाया जाएगा। फिलहाल संबंधित लेखपाल को भेज कर जांच कराई जाएगी।
- ऋषि दीक्षित, नायब तहसीलदार, पूरनपुर

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