पीलीभीत में 14 साल से राशनकार्ड का लक्ष्य 'लॉक': आबादी 4.5 लाख बढ़ी, लाभ से वंचित लाखों लोग
राशनकार्ड का लक्ष्य स्थिर रहने से पीलीभीत के लाखों गरीब परिवार सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। 14 साल से लक्ष्य न बढ़ने के कारण, लोग कार्ड बनवाने के लिए भटक रहे हैं और महंगे दामों पर अनाज खरीदने को मजबूर हैं। डीएसओ अपात्रों को हटाकर पात्रों को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, पीलीभीत। जनपद की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन राशनकार्ड का लक्ष्य वर्षों बाद भी नहीं बढ़ा। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार की आबादी 20,31,007 है। उस समय की आबादी के अनुसार तीन लाख 97,296 राशनकार्ड से 16 लाख 33 हजार 52 यूनिट जुड़ी हैं, इनको हर माह राशन मिलता है।
वहीं, 14 सालों में अनुमानित जिले की आबादी 24.50 लाख तक पहुंच गई, यानी साढ़े चार लाख तक की आबादी बढ़ी है। इस विसंगति के कारण नए परिवारों को सरकारी सस्ता राशन नसीब नहीं हो पा रहा। लक्ष्य न बढ़ने से लाखों लोग योजना से वंचित है। राशनकार्ड बनवाने के लिए लोग ब्लाक, तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक चक्कर लगाते है, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगती।
कोई एक तो कोई दो साल से राशन कार्ड बनवाने का प्रयास कर रहा। सैकड़ों ऐसे भी परिवार हैं, जो दौड़ लगाते-लगाते इतना परेशान हो गए कि अब उन्होंने उम्मीद तक छोड़ दी है और प्रयास करना तक बंद कर दिया। राशनकार्ड न होने के कारण लाखों लोग सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। मुफ्त या सब्सिडी वाले राशन से वंचित रहकर उन्हें महंगे दामों पर अनाज खरीदना पड़ रहा है।
इससे गरीब और जरूरतमंद परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। लक्ष्य न बढ़ने से विभागीय अफसर भी कुछ नहीं कर पा रहे। हालांकि विभागीय अफसरों का दावा है कि पिछले सालों में काफी अपात्रों के राशन कार्ड निरस्त किए गए हैं, उनकी जगह वंचित पात्रों के राशन कार्ड बनाए गए हैं व बनाए जा रहे हैं।
ग्रामीण का 80 व शहरी का 64 प्रतिशत लक्ष्य
जनपद की आबादी के अनुसार राशनकार्ड का लक्ष्य निर्धारित है। शहरी क्षेत्र में 64 व ग्रामीण क्षेत्र के आबादी के अनुसार 80 प्रतिशत तय है। यानी आबादी के अनुसार इतने प्रतिशत लोगों के राशन कार्ड बनाए जा सके है। माना जाता है कि शेष प्रतिशत की आबादी सक्षम है, जिनको सस्ते राशन की जरूरत नहीं है।
पात्रों को हर माह इतना मिलता है राशन
अन्तोदय कार्डधारक को प्रति कार्ड 35 किलो राशन दिया जाता है, जिसमें 20 किलो चावल व 15 किलो गेहूं है, जो पूरी तरह नि:शुल्क है। कभी-कभी सस्ते दामों पर 18 रुपये प्रति किलो चीनी दी जाती है। वहीं पात्र गृहस्थी उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट पांच किलो राशन दिया जाता है, जिसमें तीन किलो चावल व दो किलो गेहूं है।
फैक्ट फाइल
| वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी | 20,31,007 |
| वर्ष 2025 तक जिले की अनुमानित आबादी | 24.50 लाख |
| जनपद में राशन कार्ड की संख्या | 3,97,296 |
| अन्तोदय राशनकार्ड की संख्या | 36,658 |
| पात्र गृहस्थी राशन कार्ड की संख्या | 3,60,638 |
| जनपद में सरकारी राशन की दुकान | 874 |
| जनपद में राशन पाने वाले यूनिट | 16,33,052 |
विभाग का प्रयास है कि कोई भी पात्र व्यक्ति राशन पाने से वंचित न हो। अपात्रों के राशन कार्ड निरस्त कर पात्रों के बनाए जाते है। अपात्रों का हटाकर पात्रों के नए राशन कार्ड बनाए गए हैं। इससे पहले भी बड़ी संख्या में अपात्रों को हटाकर पात्रों के राशन कार्ड बनाए जा सके हैं।
- विकास कुमार, जिला पूर्ति अधिकारी पीलीभीत
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