Pilibhit News: एक्सपायर इंजेक्शन लगाने से SNCU में नवजात बच्चे की मौत, जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक नवजात की मौत का मामला सामने आया है जहां परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में एक्सपायरी दवा देने के बाद नवजात को रेफर किया गया और रास्ते में उसकी मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और गलत बर्ताव का आरोप लगाया है। इस मामले में अस्पताल प्रशासन ने जांच के लिए कमेटी बनाई है।

जागरण संवाददाता, पीलीभीत। राजकीय मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल के सुपर न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती दो दिन के नवजात को एक्सपायर दवा से उपचार करने का परिजनों ने आरोप लगाया है। गंभीर हालत बताकर अस्पताल से रेफर किए जाने के बाद नवजात की रास्ते में मौत हो गई।
परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सक और स्टाफ पर नवजात के उपचार में लापरवाही बरतने और गलत बर्ताव करने के आरोप लगाते हुए सुनगढ़ी थाने में शिकायत दर्ज कराई है। अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर तीन दिन में प्रधानाचार्य को रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
यह है पूरा मामला
गायबोझ गांव के निवासी अमन सिंह की पत्नी ने बीते 26 जनवरी को घर पर नवजात को जन्म दिया। नवजात के बार-बार रोने और ठंड लगने लक्षणों के चलते परिजन उसे सोमवार को देर रात 108 एम्बुलेंस की मदद से जिला महिला एवं बाल रोग विभाग की इमरजेंसी पहुंचे, जहां नवजात को एसएनसीयू में भर्ती करा दिया गया।
परिजनों का आरोप है कि एसएनसीयू में उपचार के दौरान अस्पताल के स्टाफ ने नवजात को एक्सपायरी डेट की बोतल (डेक्सट्रोज इंजेक्शन आईपी 10 प्रतिशत) लगा दी, जिससे नवजात की हालत बिगड़ने लगी और वह बेसुध हो गया।
रात ढाई बजे कर दिया रेफर
नवजात के पिता अमन के अनुसार, रात करीब 2:30 बजे डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की हालत गंभीर है, हायर सेंटर लखनऊ के लिए रेफर कर रहे हैं। रात करीब 2:55 बजे आईसीयू से 108 एम्बुलेंस को फोन काल पर बुलाया गया।
करीब 3:10 बजे पिता अमन अपने तीन अन्य परिजनों के साथ नवजात को ऑक्सीजन सपोर्ट पर लेकर एंबुलेंस से निकल पड़े, तभी रेलवे स्टेशन के निकट परिजनों का अचानक मन बदल गया और उन्होंने लखनऊ जाने से मना कर दिया।
पिता अमन सिंह ने बच्चे की हालत गंभीर बताते हुए स्थानीय डॉक्टर से उपचार लेने की बात कहते हुए एम्बुलेंस से उतारने के लिए कहा। एंबुलेंस कर्मियों ने नियमानुसार, परिजनों के हस्ताक्षर लेते हुए नवजात समेत सभी परिजनों को रेलवे स्टेशन के निकट चौराहे पर रात 3:35 बजे उतार दिया।
एंबुलेंस के जाते ही बच्चे की मौत
परिजनों के अनुसार, एंबुलेंस के जाते ही कुछ ही देरी बाद ही नवजात की मौत हो गई। मंगलवार को सुबह तड़के करीब 4:30 बजे परिजनों ने एंबुलेंस कर्मियों को फोन किया और नवजात को इलाज के दौरान एक्सपायरी डेट की बोतल लगाने की जानकारी दी।
परिजन सीधे शव के साथ को कोतवाली पहुंचे और अस्पताल प्रशासन के विरुद्ध नवजात के उपचार में लापरवाही बरते जाने की शिकायत की।
अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने की बात कही। वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक कुमार ने मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी बनाई है।
परिजन पूछ रहे एक्सपायरी दवा क्यों रखी गईं?
नवजात के पिता अमन और साथ आए दूसरे परिजन अस्पताल प्रशासन से बार-बार यही सवाल कर रहे हैं कि आखिर उनके स्टॉक में एक्सपायरी दवाएं किसके लिए रखी हैं। वे मरीजों का इलाज कर रहे हैं या फिर जानबूझकर उनकी जान जोखिम में डाल रहे हैं। जब अस्पताल प्रशासन संबंधित का स्टॉक महीनों पहले खत्म बता रहा है तो फिर आठ महीने पुरानी डेक्स्ट्रोज की बाेतल एसएनसीयू में नवजात को कहां से लाकर लगा दी गई।
तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी तीन दिन में मामले की जांच करके मेडिकल कॉलेज की प्रधानाचार्य को रिपोर्ट सौंपेगी।
-डाॅ. रमाकांत सागर, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, राजकीय मेडिकल कॉलेज
लोकल परचेज से खरीदी गईं 500 डेक्सट्रोज की बोतल
महिला एवं बाल रोग विभाग के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश कुमार का कहना है कि संबंधित बोतल की खरीद लोकल परचेज से की गई थी। कुल 500 डेक्सट्रोज इंजेक्शन आईपी 10 प्रतिशत की बोतल मुख्य स्टॉक में पहुंचीं, जो कि तीन अलग-अलग बैच की थीं।
बैच नंबर-डी2एन20025 की कुल 100 बोतल थीं, जिन्हें एक्सपायरी डेट के पहले ही मुख्य भंडारण से खत्म कर दिया गया, लेकिन इतने दिनों बाद एक्सपायरी दवा की संबंधित बैच की बोतल का एसएनसीयू में मरीज के उपचार में उपयोग करना संदेह के घेरे में है। मामले की जांच के जांच कराई जा रही है।
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