टीकाकरण के महत्व को समझें,गलत धारणा को दूर करें
किसी बीमारी के टीके की अहमियत कोरोना काल में दुनिया को पता चल रही है लेकिन फिर भी तमाम लोग नियमित टीकाकरण के प्रति गलत धारणा बनाए रखते हैं। टीकाकरण से ही दुनिया सुरक्षित है। टीकाकरण के बूते ही शिशु और मातृ मृत्यु दर में बहुत कमी पाई जा चुकी है। बच्चों के लिए टीकाकरण वरदान साबित हो रहा है।
पीलीभीत,जेएनएन: किसी बीमारी के टीके की अहमियत कोरोना काल में दुनिया को पता चल रही है लेकिन फिर भी तमाम लोग नियमित टीकाकरण के प्रति गलत धारणा बनाए रखते हैं। टीकाकरण से ही दुनिया सुरक्षित है। टीकाकरण के बूते ही शिशु और मातृ मृत्यु दर में बहुत कमी पाई जा चुकी है। बच्चों के लिए टीकाकरण वरदान साबित हो रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग की ओर से दो नवंबर से गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया जा रहा है। जनपद में मिशन इंद्रधनुष या अन्य टीकाकरण अभियानों के दौरान लोगों की ओर से टीकाकरण न कराने के कई मामले सामने आए। ऐसे लोगों को समझाने के लिए स्वास्थ्य विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। गत वर्ष चले मिशन इंद्रधनुष के दौरान टीकाकरण टीम को शहर के मुहल्ला डालचंद्र, बेनी चौधरी, मुहल्ला फारुख, शेर मोहम्मद आदि कई स्थानों पर लोगों का विरोध देखने को मिला। लोग टीकाकरण के प्रति सजग व जागरूक न होकर रूढि़वादी सोच में विश्वास करते हैं जिस कारण टीकाकरण को महत्व नहीं देते। ऐसे लोगों को कई रोगों का सामना करना पड़ता है। जब लोग अपने जीवनकाल में गंभीर बीमारियों या महिलाएं गर्भ धारण करने में परेशानियों का सामना करती हैं तो इसका कारण समयानुसार पूर्ण व आवश्यक टीकाकरण न होना भी होता है। तब लोगों को टीकाकरण की महत्ता समझ आती है लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीकाकरण के लिए उच्च गुणवत्ता की वैक्सीन निश्शुल्क उपलब्ध हैं।
बच्चों के लिए टीकाकरण- आयु वैक्सीन प्रतिरक्षा रोग जन्म से एक वर्ष तक बीसीजी टीबी जन्म से 24 घंटे में हेपिटाइटिस-बी यकृत रोग जन्म से 24 घंटे में पोलियो ड्राप पोलियो डेढ़ माह रोटा डायरिया डेढ़ माह पेंटावैलेंट डिप्थीरिया,काली खांसी,टिटनेस,हैपेटाइटिस-बी,न्यूमोनिया,मेनिजाइटस डेढ़ माह पोलियो ड्राप पोलियो डेढ़ माह इनएक्टिवेटिड पोलियो पोलियो बूस्टर डेढ़ माह पीसीवी-13 न्यूमोनिया (न्यूमोकोकल)
ढाई माह पोलियो ड्राप पोलियो ढाई माह रोटा (दूसरी खुराक) - ढाई माह पेंटावैलेंट(दूसरी खुराक) - साढ़े तीन माह पोलियो ड्राप - साढ़े तीन माह रोटा (तीसरी खुराक) - साढ़े तीन माह पेंटावैलेंट(तीसरी खुराक) - साढ़े तीन माह इनएक्टिवेटिड पोलियो(दूसरी खुराक) साढ़े तीन माह पीसीवी-13(दूसरी खुराक) - नौ माह एमआर खसरा, रूबेला (लाल दाने) नौ माह जापानीज इंसेफेलाइटिस दिमागी बुखार नौ माह विटामिन ए डेढ़ वर्ष डीपीटी डिफ्थीरिया, काली खांसी ,टिटनेस डेढ़ वर्ष एमआर (दूसरी खुराक) - डेढ़ वर्ष जेइ (दूसरी खुराक) - डेढ़ वर्ष विटामिन ए (दूसरी खुराक) - डेढ़ वर्ष पोलियो बूस्टर पांच वर्ष डीपीटी बूस्टर दस वर्ष टीडी टिटनेस, डिफ्थीरिया
पंद्रह वर्ष टीडी (दूसरी खुराक) गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण-
- गर्भ का पता चलते ही टीडी( टिटनेस व डिफ्थीरिया) का पहला टीका
- एक माह बाद टीडी का दूसरा टीका
- गर्भ के दौरान कम से कम चार बार खून आदि की जांच
- वजन, लंबाई, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, यूरिन की जांच
- आयरन, कैल्शियम का सेवन
टीकाकरण स्वस्थ जीवन का अहम हिस्सा है। सभी वैक्सीन वैज्ञानिकों की ओर से परीक्षणों के बाद तैयार की जाती हैं। सरकार समेत कई स्वास्थ्य संगठन वैक्सीन की वैधता को प्रमाणित करते हैं। ऐसे में सुरक्षित वैक्सीन ही विशेषज्ञ स्टाफ की ओर से टीकाकरण के दौरान प्रयोग की जाती है। लोगों को गंभीर बीमारियों के प्रति जागरूक होकर टीकाकरण कराने को महत्ता देनी चाहिए।
- डॉ. चंद्रमोहन चतुर्वेदी, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी
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