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    गुरु गोविद सिंह महाराज ने 14 बार जीती मुगलों से जंग

    पीलीभीतजेएनएन गुरु गोविद सिंह जी महाराज ने हिदू धर्म की रक्षा और मानवता का कल्याण इन दोनों के लिए जीवन भर कार्य किया। गुरु महाराज ने अन्याय के खिलाफ मुगलों से 14 बार जंग लड़ी और हर बार फतेह हासिल की। उन्होंने अध्यात्म के साथ ही शस्त्र को धारण करने की सीख दी। खालसा पंथ की स्थापना ही मानवता की भलाई और अन्याय करने वालों से संघर्ष के लिए हुई। अन्याय के खिलाफ गुरुओं ने संघर्ष किया। मानवता की भलाई का जज्बा रहा कि दुश्मन की सहायता करने में भी संकोच नहीं किया।

    By JagranEdited By: Updated: Thu, 17 Feb 2022 11:35 PM (IST)
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    गुरु गोविद सिंह महाराज ने 14 बार जीती मुगलों से जंग

    पीलीभीत,जेएनएन : गुरु गोविद सिंह जी महाराज ने हिदू धर्म की रक्षा और मानवता का कल्याण, इन दोनों के लिए जीवन भर कार्य किया। गुरु महाराज ने अन्याय के खिलाफ मुगलों से 14 बार जंग लड़ी और हर बार फतेह हासिल की। उन्होंने अध्यात्म के साथ ही शस्त्र को धारण करने की सीख दी। खालसा पंथ की स्थापना ही मानवता की भलाई और अन्याय करने वालों से संघर्ष के लिए हुई। अन्याय के खिलाफ गुरुओं ने संघर्ष किया। मानवता की भलाई का जज्बा रहा कि दुश्मन की सहायता करने में भी संकोच नहीं किया।

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    दैनिक जागरण की ओर से गुरुवार को आयोजित सिख और मुगल साम्राज्य विषय पर हुई परिचर्चा का शुभारंभ करते हुए जेएमबी इंस्टीट्यूट में इतिहास के प्रवक्ता विपिन कुमार ने बाबर के आगमन के साथ ही मुगल साम्राज्य की नींव पड़ने, पानीपत में दो बार युद्ध होने से लेकर औरंगजेब की क्रूरता के बारे में ऐतिहासिक तथ्य सामने रखे। पिता शाहजहां को कैद करने और भाई दाराशिकोह को धीमा जहर देने जैसा घृणित काम औरंगजेब ने किया। सरदार बलवीर सिंह ने कहा कि खालसा पंथ के सातवें गुरु हर राय महाराज ने तो शाहजहां के बेटे दाराशिकोह का जीवन बचाने का काम किया था। जब वह बहुत ज्यादा बीमार पड़ गया तो राज दरबारियों ने शाहजहां को बताया कि गुरु हरराय के दवाखाना में ऐसी औषधि मिल सकती है, जिससे दारा शिकोह की जिदगी बच जाएगी। इस पर शाहजहां ने संकोच के साथ कहा कि वे तो हमारे विरोधी हैं। तब उसके अपने लोगों ने समझाया कि वहां औषधि मिल जाएगी, इसके बाद शाहजहां ने कुछ सैनिकों को औषधि लेने के लिए गुरु हरराय के यहां पहुंचे और अपनी मंशा बताई। सुनकर गुरु महाराज मुस्कराए और बोले- यह गुरु का घर है, यहां कोई भेदभाव नहीं होता। बेनहर पब्लिक स्कूल के प्रशासक डा. परविदर सिंह सैहमी ने कहा कि खालसा पंथ का सदैव यही मानना रहा है कि सभी मानव एक ही ईश्वर की संतान हैं। फिर उनमें भेदभाव क्यों होना चाहिए। गुरु नानक जी महाराज ने वंशवाद को कभी नहीं बढ़ाया बल्कि अपने बाद में गुरु की गद्दी बेटों को न देकर सेवक रहे गुरु अंगद जी महाराज को सौंपी। सरदार अमरजीत सिंह ने कहा कि सिर्फ मुगलों से ही नहीं बल्कि अन्याय करने वाला चाहे कोई भी हुआ, सिख गुरुओं ने उससे संघर्ष किया। जुल्म करने वालों के खिलाफ लड़ने के लिए शस्त्र दिए। कहा कि जो भी इंसानियत के खिलाफ हुआ, उससे जंग लड़ी। सत्ता और प्रभुत्व के लिए नहीं। खालसा पंथ निर्भय है। गुरु गोविद सिंह महाराज ने कहा था कि सभी इंसानों में एक ही परमात्मा का अंश है। सरदार अमरीक सिंह ने कहा कि गुरु हरगोविद सिंह महाराज ने दो तलवारें धारण की थीं। एक अध्यात्म के लिए और दूसरी युद्ध के लिए। खालसा पंथ की स्थापना जुल्म के खिलाफ लड़ने के लिए हुई। सरदार अमर पाल सिंह ने कहा कि गुरु गोविद सिंह जी महाराज को अकाल पुरुष (ईश्वर) ने धरती पर भेजा ही इसीलिए था कि बलिदान देकर हिदू धर्म को बचाया जाए। हर गोविद सिंह महाराज ने भी चार बार मुगलों से जंग जीती। सेवानिवृत्त प्रवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा का कहना रहा कि सिखों का इतिहास शौर्य और बलिदान से भरा रहा है। गुरुओं ने सेवाभाव और अन्याय के खिलाफ नहीं झुकने का संदेश दिया था।