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    आदिगंगा गोमती, देवहा, उल्ल, माला नदी का है उद्गम स्थल पीलीभीत

    पीलीभीत : हिमालय की तलहटी में बसे पीलीभीत जनपद में नदियों का उद्गम स्थल है।

    By JagranEdited By: Updated: Mon, 09 Apr 2018 10:47 PM (IST)
    आदिगंगा गोमती, देवहा, उल्ल, माला नदी का है उद्गम स्थल पीलीभीत

    पीलीभीत : हिमालय की तलहटी में बसे पीलीभीत जनपद में नदियों का उद्गम स्थल है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में नदियों का जंक्शन भी कह सकते हैं। इन नदियों के उद्गम स्थल के संरक्षण की जरूरत है, तभी गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाया जा सकता है। यहां से आदिगंगा गोमती, देवहा, उल्ल, कैलाश आदि नदियां निकलती हैं, जो आगे चलकर अन्य नदियों में मिल जाती है। गोमती के अलावा सहायक नदियों के भी संरक्षण को प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

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    जनपद की सीमा के उत्तर में उत्तराखंड है, जहां से शारदा नदी निकलती है। यह नदी मैदानी इलाके में प्रवेश करने के बाद खेती को हरा भरा करती है। पीलीभीत जनपद से आदिगंगा गोमती नदी, देवहा नदी, उल्ल नदी, माला नदी, खन्नौत नदी का उद्गम स्थल है। योगी सरकार ने आदिगंगा गोमती के उद्गम स्थल को अविरल और स्वच्छ बनाने के लिए आदेश जारी किए हैं। जिलाधिकारी डॉ.अखिलेश कुमार मिश्र की अध्यक्षता में गोमती की धारा पर अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। गोमती की 47 किलोमीटर धारा को प्रवाहयुक्त बनाया जा रहा है, जिसकी प्रत्येक अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। गोमती नदी के अलावा अन्य नदियों का उद्गम स्थल है, लेकिन इन उद्गम स्थलों को संरक्षित किए जाने की जरूरत है। देवहा नदी में सालभर पानी रहता है, लेकिन उम्मीद के अनुरूप पानी नहीं रहता है। बरसात के दिनों में कहर बरपाती है। उल्ल नदी भी मौसमी नदी है, जो लखीमपुर को लाभ पहुंचाती है। माला नदी जंगल से निकलती है। उल्ल नदी पूरनपुर के पास से प्रवाहित होती है। जनपद से निकली इन नदियों के भी संरक्षण की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। राज्य सरकार को गोमती नदी के अलावा अन्य नदियों का पुनरुद्धार करने की दिशा में रणनीति बनानी चाहिए, तभी अविरल की परिकल्पना को साकार किया जा सकेगा। इन नदियों के प्रवाह को अविरल बनाना होगा। इसी वजह से जनपद को नदियों का जंक्शन कहना गलत नहीं होगा। विपनेट समाधान विकास समिति के समन्वयक लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि नदी के साथ ही हर जल स्त्रोत का संरक्षण होना चाहिए। आज स्थिति काफी खराब है। आने वाले समय में शुद्ध पेयजल के लिए त्राहि-त्राहि मचेगी। जमीन में शुद्ध पेयजल की मात्रा काफी कम है। इसलिए गोमती के साथ अन्य नदियों के उद्गम स्थल व धारा को संरक्षित करना आवश्यक है। प्रदूषण की वजह से लोगों को जल व हवा शुद्ध नहीं मिल पा रही है।