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    पीलीभीत में सामूहिक दुष्कर्म के तीन दोषियों को 20 साल की कैद, 11 साल बाद आया फैसला

    पीलीभीत में एक अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म के मामले में तीन आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 20 साल की सजा सुनाई है। आरोपियों ने 2014 में एक महिला के घर में घुसकर उसके साथ दुष्कर्म किया और लूटपाट की थी। पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद अदालत ने सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। आरोपियों पर जुर्माना भी लगाया गया है।

    By Devendrda Deva Edited By: Sakshi Gupta Updated: Tue, 26 Aug 2025 09:09 PM (IST)
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    सामूहिक दुष्कर्म के तीन दोषियों को जुर्माने सहित 20 साल की कैद।

    जागरण संवाददाता, पीलीभीत। अपर सत्र न्यायधीश /एफ टी सी (डव्लू पी) छांगुरराम ने घर मे घुसकर सामूहिक दुष्कर्म करने के मामले में दो सगे भाइयो सहित तीन आरोपियों को दोषी पाते हुए प्रत्येक को छब्बीस हजार रुपये अर्थ दण्ड सहित बीस वर्ष की सजा से दण्डित किया।

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    अभियोजन कथानक के अनुसार थाना बीसलपूर छेत्र के एक गांव की युवती ने अवर न्यायालय में परिवाद दाखिल कर कहा कि बह गरीब महिला है। गांव के संतराम पुत्र रामचंद्र उर्फ चंद्रपाल तथा गिरजाशंकर व गुणानंद पुत्र भगवान दास दबंग अपराधी किस्म के हैं।

    वे उससे रंजिश व दुश्मनी मानते है। 17 फरवरी 2014 की रात बारह बजे को बह अपनी नाबालिग पुत्री व बच्चो के साथ घर मे सोई हुई थी। पति घर पर नहीं थे। यह लोग मौके का फायदा उठाकर घातक हथियारों से लैस होकर घर में घुस आए।

    उसके साथ छेडछाड़ कर गिरजाशंकर ने अपनी लाइसेंसी बंदूक सीने पर रखकर तीनों ने उसके साथ बारी बारी से दुष्कर्म किया। साथ ही कानों के कुंडल गले की हंसली नाक का फूल जेवरी लूट ली। विरोध करने पर पिटाई कर जान से मारने की धमकी दी। शोर पर पड़ोस के लोग आ गए।

    तभी उक्त लोग जान से मारने की धमकी देकर चले गए। सुबह को कोतवाली बीसलपूर व् तहसील दिवस मे जाकर सूचना देने पर कोई कार्यबाही न होने महिला आयोग व उच्च अधिकारियो को अलग अलग प्रार्थना पत्र दिए रिपोर्ट नहीं लिखी गई।

    अवर न्यायालय ने सुनवाई के बाद संतराम गिरजा शंकर व गुणानन्द को अभियुक्त पाते हुए तलब किया। सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता ने कई गवाह अपर सत्र न्यायालय में पेश किए।

    वहीं आरोपितो ने निर्दोष होना बताया। न्यायालय ने दोनों ओर से प्रस्तुत तर्को को सुनने व पत्रावली का अवलोकन करने के बाद संतराम गिरजाशंकर ब गुणानंद को दोषी पाते हुए दण्डित किया।