जेल कर्मी को डिजीटल अरेस्ट कर 57 लाख की ठगी करने वाले पांच आरोपी गिरफ्तार, फर्जी आधार कार्ड और चेकबुल बरामद
पीलीभीत में जेल कर्मचारी से सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर 57.89 लाख रुपये की ठगी करने वाले पांच आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने डिजिटल गिरफ्तारी का नाटक रचा था और फर्जी दस्तावेजों के जरिए बैंक खाते खुलवाकर ठगी की रकम को इन खातों में ट्रांसफर करते थे। पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है।

जागरण संवाददाता, पीलीभीत। जेल कर्मचारी और उनके परिवार से ईडी, सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी बताकर डिजिटल अरेस्ट किया और उसके बाद लाखों की ठगी कर ली। पुलिस टीम ने शुक्रवार को पूरनपुर रोड पर पेट्रोल पंप के पास से गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों से गहनता से पूछताछ की जा रही है। आरोपितों के पास से साढ़े तीन लाख रुपये नगद के अलावा फर्जी आधार कार्ड, चेकबुक और सिम कार्ड बरामद हुए हैं। पुलिस फरार अन्य आरोपितों के बारे में जानकारी जुटा रही है।
जिला कारागार में तैनात क्लर्क जगमोहन सैनी ने साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमे कहा गया कि उनके पास अलग अलग मोबाइल नंबरों से पुोन आया। फोन करने वालों ने अपने आपको सीबीसीआईडी,मुंबई क्राइम ब्रांच और सुप्रीम कोर्ट का अधिकारी बताकर उनके आधार से सिम कार्ड जारी होने और उससे अलग अलग गैरकानूनी गतिविधियां होने की बात कही गई।
इसके बाद वीडियो और ऑडियो कॉल करते हुए नौ अगस्त 2024 से 22 अगस्त 2024 तक डिजीटल अरेस्ट रखकर 57 लाख 89 हजार सात सौ छियत्तर रूपये की ठगी की गई। मुकदमा दर्ज होने के बाद एसपी ने घटना के खुलासे के लिए साइबर सेल,एसओजी समेत तीन टीमों का गठन किया। तीनों टीमों ने जांच के बाद इस मामले में पांच आरोपियों को थाना सुनगढ़ी क्षेत्र के पूरनपुर मार्ग स्थित पेट्रोल पंप से गिरफ्तार किया।
पूछताछ में आरोपियों ने अपने नाम मनीष कुमार निवासी सूरजपुर ग्रेटर नोएडा,नई दिल्ली के तिमारपुर निवासी विकास वर्मा,नोएडा एक्सटेंशन निवासी राजेंद्र शर्मा उर्फ राजन,दिल्ली के द्वारिका क्षेत्र निवासी प्रशांत चौहान,संजय बोबी देशवाल निवासी बख्तावरपुर सेक्टर 127 नोएडा बताया। आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने साढ़े तीन लाख रुपये नगद,10 फर्जी आधार कार्ड,दो चेकबुक और नौ मोबाइल बरामद किए हैं। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे एक संगठित गिरोह के रूप में कार्य करते हैं। वह भोले-भाले एवं आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों से उनके चालू खाते की पासबुक, एटीएम कार्ड एवं चैकबुक अपने कब्जे में लेकर, बदले में उन्हें मात्र तीन से चार प्रतिशत कमीशन देते हैं।
उन खातों का साइबर धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि को स्थानांतरित करने हेतु प्रयोग किया जाता है। गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों का वास्तविक आधार कार्ड, पेन कार्ड का प्रयोग कर फर्जी फर्म बनाकर विभिन्न बैंकों में करंट अकाउंट खुलवाते हैं तथा नये मोबाइल नम्बर प्राप्त करते हैं। गिरोह समय-समय पर इसी तरीके से विभिन्न जिलों एवं राज्यों में जाकर नये-नये खाते खुलवाते हैं जिससे पकड़े जाने से बचा जा सके।
इन खातों में डिजिटल अरेस्ट, ऑनलाइन ठगी, निवेश धोखाधड़ी एवं अन्य साइबर अपराधों से ठगी गयी धनराशि डलवाकर तुरन्त म्यूल खातों में ट्रांसफर कर नकद निकासी कर ली जाती है। जिससे पीड़ित अथवा बैंक द्वारा धनराशि ट्रेस न हो सके और अपराध के बाद प्रयोग किये गये मोबाइल नंबर तुरंत बंद कर देते हैं।
अपराध से प्राप्त धनराशि का कुछ प्रतिशत वह लोग अपने पास रखते हैं। शेष धनराशि को साउथ ईस्ट एशियन कंट्री (कम्बोडिया, लाउस) में बैठे सरगना को स्थानांतरित कर देते हैं। आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में साइबर थाने के निरीक्षक खुर्शीद अहमद,एसओजी प्रभारी उमेश त्यागी,प्रभारी साइबर सेल की टीम शामिल रही।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।