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    यूपी में आनंदा दूध का सैंपल फेल, कोर्ट ने विक्रेता पर 50 हजार और कंपनी पर लगाया डेढ़ लाख का जुर्माना

    Updated: Sun, 04 May 2025 04:34 PM (IST)

    पीलीभीत में आनंदा दूध का नमूना परीक्षण में फेल होने पर खाद्य सुरक्षा विभाग ने विक्रेता और निर्माता के खिलाफ न्यायालय में वाद दायर किया। न्यायालय ने विक्रेता नितिन गुप्ता पर 50000 रुपये और निर्माता डेयरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर 1.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। दूध में वसा की मात्रा मानक से कम पाई गई थी। जुर्माना राशि एक माह के भीतर जमा करानी होगी।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, पीलीभीत। आनंदा दूध का नमूना परीक्षण में फेल हो गया। इस पर खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से विक्रेता व निर्माता के विरुद्ध न्यायालय में वाद दायर किया गया। सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने विक्रेता पर पचास हजार और निर्माता पर डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

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    विगत 30 जुलाई 2024 को खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने शहर में स्टेशन रोड पर रमा गार्डन के सामने स्थित बाबा डेयरी की निरीक्षण किया था। मौके पर उपस्थित व्यक्ति ने अपना नाम नितिन गुप्ता बताया। संदेह के आधार पर आनंदा सुप्रीम मिल्क के पैकेट नमूने के लिए खरीदे गए। इस नमूने को परीक्षण के लिए खाद्य विश्लेषक लखनऊ के पास भिजवाया गया।

    प्रयोगशाला में दूध का नमूना फेल

    प्रयोगशाला में इस दूध का नमूना परीक्षण में फेल हो गया। खाद्य विश्लेषक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि परीक्षणों के आधार पर नमूना भैंस के दूध के मानकों के अनुरूप नहीं है। क्योंकि दूध में वसा की मात्रा भैंस के दूध के लिए निर्धारित सीमा 5.0 प्रतिशत से कम है।

    इस दूध की निर्माता कंपनी जेपी नगर जिले की हसनपुर तहसील चौबारा लिंक रोड गजरौला स्थित डेयरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड है। खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से न्यायालय में विक्रेता नितिन गुप्ता व निर्माता डेयरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के विरुद्ध वाद दायर किया गया। इसके उपरांत न्यायालय से विक्रेता व कंपनी को नोटिस जारी किए गए। प्रतिपक्षी विक्रेता व कंपनी की ओर से न्यायालय में आपत्ति दाखिल की गई।

    कोर्ट ने कंपनी पर लगाया डेढ़ लाख का जुर्माना

    न्यायालय ने दोनों पक्षों की ओर से सुनवाई के उपरांत आपत्ति को खारिज कर दिया। न्यायालय ने विक्रेता पर पचास हजार रुपये और निर्माता कंपनी पर डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायालय ने अपने आदेश में जुर्माना की धनराशि एक माह के भीतर राजकोष मेंं जमा कराने को कहा है।