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    35 साल बाद… चुनाव नहीं लड़ेगा गांधी परिवार, वरुण गांधी के नाम से क्यों खरीदे गए नामांकन पत्र के चार सेट

    Updated: Wed, 27 Mar 2024 08:41 PM (IST)

    जिले में राजनीति का नया अध्याय शुरू हो गया। 35 वर्ष से लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा गांधी परिवार (मेनका व वरुण गांधी) इस बार चुनाव मैदान से बाहर हैं। बुधवार को नामांकन के अंतिम दिन सांसद वरुण गांधी ने पर्चा नहीं भरा। इसके साथ ही तय हो गया कि वर्ष 2024 की लोकसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कोई अन्य नेता करेगा।

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    35 साल बाद… चुनाव नहीं लड़ेगा गांधी परिवार।

    जागरण संवाददाता, पीलीभीत। जिले में राजनीति का नया अध्याय शुरू हो गया। 35 वर्ष से लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा गांधी परिवार (मेनका व वरुण गांधी) इस बार चुनाव मैदान से बाहर हैं। बुधवार को नामांकन के अंतिम दिन सांसद वरुण गांधी ने पर्चा नहीं भरा। इसके साथ ही तय हो गया कि वर्ष 2024 की लोकसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कोई अन्य नेता करेगा। 

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    इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद वरुण गांधी से जुड़े लोग खामोश हैं। कुछ करीबियों ने सिर्फ इतना कहा, अब वह मां मेनका गांधी का चुनाव प्रचार करने सुल्तानपुर जाएंगे… इसके अलावा और कुछ नहीं कह सकते! भाजपा में रविवार से दम भर रहीं आशंकाएं भी समाप्त हो गईं। पार्टी वरुण का टिकट काटने के बाद अब प्रत्याशी जितिन प्रसाद पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 

    संगठन को संतुष्ट नहीं कर सके वरुण

    1989 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी पहली बार पीलीभीत की सांसद बनीं थीं। 1991 में रामलहर के चलते वह हार गईं। 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में वह चुनाव जीतीं। उनके बेटे वरुण गांधी 2009 और 2019 का चुनाव जीत चुके हैं। जिले के मतदाताओं में गहरी पैठ रखने वाले वरुण गांधी संगठन को संतुष्ट नहीं कर सके। इस लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें पीलीभीत से प्रत्याशी नहीं बनाया गया।

    रविवार को पार्टी ने वरुण गांधी का टिकट काटकर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को प्रत्याशी बनाया। तभी से अटकलें लगनी शुरू हो गईं। निजी सचिव कमलकांत ने वरुण गांधी के नाम से नामांकन पत्र के चार सेट खरीदे। इसे आधार बनाकर कयास लगाए जाने लगे कि सांसद इतनी आसानी से मैदान नहीं छोड़ेंगे। उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने के कयास भी लगाए जाने लगे। 

    वरुण खेमा रहा शांत

    एक ओर भाजपा के स्थानीय नेताओं व अन्य दलों में गहमागहमी थी, दूसरी ओर वरुण खेमा शांत था। मंगलवार देर शाम तक वहां नामांकन की तैयारी से जुड़ी कोई गतिविधि नहीं थी। बुधवार को नामांकन के अंतिम समय दोपहर तीन बजे तक विभिन्न दलों के नेता निगाह टिकाए रहे। इसके बाद सभी ने स्वीकार लिया कि इस बार का चुनावी मैदान गांधी परिवार की उपस्थिति के बिना सजेगा। उनके समर्थकों में सन्नाटा है। 

    कई भाजपा पदाधिकारी संतुष्ट हैं कि वरुण गांधी ने संगठन का निर्णय स्वीकारते हुए नामांकन नहीं कराया। ऐसे में पार्टी के प्रत्याशी जितिन प्रसाद के चुनाव पर ध्यान केंद्रित करने में आसानी होगी। जितिन प्रसाद के नामांकन में शामिल होने के लिए प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी भी आए थे।

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