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    प्रकृति के लिए करें प्राकृतिक खेती

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    Updated: Thu, 18 Apr 2013 12:19 AM (IST)

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    पीलीभीत : खेतों में रसायन का प्रयोग करने से पानी की भी अधिक आवश्कता पड़ती है। लिहाजा सिंचाई में ज्यादा खर्च आता है। मगर प्राकृतिक खेती से सिंचाई की सीमित जरूरत होती है। यह जानकारी लाला लाजपत राय बैंकट हाल में बाजाज हिंदुस्तान की ओर से चल रही कृषि कार्यशाला में वैज्ञानिक सुभाष पालेकर ने किसानों को दी।

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    उन्होंने कहा कि भूमि की दशा सुधारने के लिए जैव पदार्थो का प्रयोग करना चाहिए। जमीन की संरचना बेहतर होने से वायु संचार में ही सुधार होगा। उन्होंने किसानों को बताया कि प्राकृतिक खेती से पौष्टिक व स्वादिष्ट उत्पादन प्राप्त होता है। जिससे बीमारियों से भी निजात मिलेगी। साथ ही भारत में मां को दर्जा प्राप्त गाय पालन में भी बढ़ोत्तरी होगी। प्राकृतिक खेती के लिए पशुपालन को बढ़ावा देना होगा। तब किसानों की लागत भी कम खर्च होगी और आय भी बढ़ेगी। रसायन का त्याग कर भारतीय खेती पद्वति को अपनाने का अब समय आ गया है। गोला यूनिट हेड एनसी अग्रवाल, बरखेडा से वीरपाल, खंभारखेडा से संजय त्रिपाठी, प्रतापपुर से आरएन त्रिपाठी, सीजीएम मनोज अग्रवाल, डीजीएम अजय भट्ट, सतीश श्रीवास्तव मौजूद रहे।

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