हजरत मौलाना हशमत अली शाह का उर्स आज से
पीलीभीत : मौलाना हशमत अली शाह का 54 वां सालाना उर्स ए मुबारक की सभी तैयारियां मुकम्मल कर ली गई है। शुक्रवार को परचम कुशाई के साथ ही उर्स ए पाक शुरू हो जाएगा। उर्स में शामिल होने के लिए दरगाह पर जायरीनों के पहुंचने का सिलसिला जारी हो गया है। उर्स में देश के मशहूर करीब 250 उलेमा भी शिरकत करेंगे।
देश के अलावा विदेशों से भी अकीदतमंद उर्स में शामिल होंगे। इस मौके पर दरगाह पर रोशनी और सजावट के पुख्ता इंतजामात किए गए हैं। सात जनवरी को कुल शरीफ के साथ उर्स का समापन होगा। दरगाह के सज्जादा नशीन मौलाना जरताब रजा खां हशमती ने बताया कि मौलाना हशमत अली ने आला हजरत सरकार से दीनी तालीम हासिल की थी। आला हजरत सरकार से मौलाना साहब को बेहद मोहब्बत और अकीदत थी। आला हजरत सरकार को भी अपने शागिर्द से मोहब्बत थी। महज 18 साल की उम्र में आपने इल्म में 90 वर्ष के बुजुर्ग को मात दी थी। जिन्होंने आला हजरत सरकार को चुनौती दी थी। तब सरकार ने फरमाया था कि तुम्हारे सवालों का जवाब मेरे शागिर्द मौलाना हशमत अली देंगे। उस मुकाबले को जीतने के बाद आला हजरत सरकार ने मौलाना हशमत अली को अपने रूहानी बेटे का खिताब दिया था। उन्होंने इसका जिक्र अपनी किताब अत्ताजुद्दारी में भी किया। यह भी अकीदत की बात है कि मौलाना हशमत अली का जिस दिन कुल शरीफ होगा, उस दिन आला हजरत सरकार का उर्स शुरू होगा। उन्होंने कहा कि आला हजरत के प्रति मौलाना हशमत अली की मोहब्बत को देखते हुए इनके उर्स की तारीख आला हजरत के साहबजादे ने तय की थी।
दरगाह के सज्जादानशीन ने बताया कि उर्स में देश के विभिन्न भागों से हजरत के अकीदतमंद शिरकत करते हैं। मौलाना हशमत अली ने तकरीबन 48 किताबें लिखी हैं। इनके उर्से पाक में बड़ी तादाद में अकीदतमंद शिरकत करते हैं। मौलाना हशमत अली के उर्स में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ्रीका आदि मुल्कों से अकीदतमंद हाजिरी देते हैं। हशमतिया दर से सभी को फैज हासिल होता है। हर साल हशमतिया उर्स बड़े ही अकीदत और एहतराम के साथ मनाया जाता है। दरगाह पर पहुंचने वाले जायरीनों के लिए लंगर और ठहरने का प्रबंध किया गया है। इसके लिए आलमी सुन्नी तहरीक-ए-अवाम जायरीनों की खिदमत में काम करेगी। उर्स के मौके पर तकरीबन 150 विभिन्न प्रकार की दुकानें पहुंच चुकी हैं।
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