यमुना तटबंध पर नहीं बनाया जा सकता एलिवेटेड एक्सप्रेसवे, नए सिरे बनेगी कार्ययोजना
यमुना का जल स्तर बढ़ने पर आबादी में पानी घुस सकता है। इसलिए सिर्फ यमुना तटबंध पर एलिवेटेड एक्सप्रेसवे बनाने को लेकर आपत्ति है। चूंकि यमुना डूब क्षेत्र तीन से चार किलोमीटर तक फैला हुआ है। इसलिए नए सिरे से परियोजना पर काम किया जाए। तकनीकी रूप से सही हो उसकी कार्ययोजना तैयार की जाए। एलिवेटेड एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो जाएगा।

कुंदन तिवारी, नोएडा। यमुना तटबंध पर एलिवेटेड एक्सप्रेसवे बनाने की नोएडा प्राधिकरण की योजना को उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने झटका दे दिया है, कहा है कि सुरक्षा की दृष्टि से और तकनीकी रूप से तटबंध पर एलिवेटेड एक्सप्रेसवे नहीं बनाय जा सकता है।
यदि एलिवेटेड एक्सप्रेसवे बनाना है तो तटबंध के आगे-पीछे या डूब क्षेत्र में पिलर के जरिये बनाया जा सकता है। इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनईए) से अनुमति ली जा सकती है। तमाम रेलवे, मेट्रो, एलिवेटेड रोड की परियोजनाएं एनजीटी की अनुमति लेकर तैयार हो रही है।
यह जवाब उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग में तैनात मुख्य अभियंता दिनेश सिंह ने शासन को चार सितंबर को दिया है। सांसद डाक्टर महेश शमर व जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मांग की थी कि जेवर स्थित नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे बनने के बाद नोएडा- ग्रेटर नोएडा एक्सपेसवे पर यातायात का भार बढ़ जाएगा।
इसलिए एक्सप्रेसवे के सामान्तर यमुना तटबंध पर एक्सप्रेसवे बनाने की योजना पर काम शुरू किया जाए, निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) से कराने की बात कही थी। इसके लिए उत्तर प्रदेश पीडब्ल्यूडी से आग्रह किया था कि यमुना तटबंध मार्ग को एनएचएआइ घोषित किया जाए।
इस पीडब्ल्यूडी ने उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने एनओसी मांगी थी, लेकिन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की ओर से एनओसी जारी नहीं की जा रही है। इसलिए अब तक यह मार्ग एनएचएआइ घोषित नहीं हो सका है।
विभागों की आपसी खींचतान के कारण आम आदमी को दिक्कतों का समाना करना पड़ेगा। जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने कहा कि अब इस प्रकरण पर अब ठोस पैरवी की जा रही है, जल्द नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के सामान्तार एलिवेटेड एक्सप्रेसवे का निर्माण एनएचएआइ से कराया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग यमुना के मुख्य अभियंता दिनेश सिंह ने बताया कि यमुना का तटबंध नोएडा की सुरक्षा के लिए है। इससे बाढ़ आने पर पानी आबादी में न घुस सके, चूंकि एलिवेटेड रोड बनाने के लिए 40 मीटर पिलर को तटबंध के नीचे ले जाकर तटबंध को क्षतिग्रस्त कर दिया जाएगा। इससे भविष्य में सीपेज आने की संभावनाएं है।
नोएडा प्राधिकरण सीईओ प्राधिकरण डा लोकेश एम ने कहा कि अब नए सिरे से कार्ययोजना पर काम होगा। प्रत्येक तकनीकी पहलुओं पर गहनता से अध्ययन के बाद अन्य विभागों से विचार विमर्श किया जाएगा।
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