नोएडा में खुलेआम सड़कों पर दौड़ रही डग्गामार बसें, यात्रियों की जान के लिए बन सकती हैं मुसीबत
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में डग्गामार बसें यात्रियों के लिए जोखिम भरी हैं। सुरक्षा मानकों का उल्लंघन, फिटनेस की कमी और क्षमता से अधिक सवारियां भरकर ये बसें दुर्घटना का कारण बन सकती हैं। पूर्व में कार्रवाई के बावजूद स्थिति जस की तस है, जिससे परिवहन निगम को भी नुकसान हो रहा है।
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प्रवेंद्र सिंह सिकरवार, नोएडा। खुलेआम सड़कों पर दौड़ रहीं डग्गामार बसें यात्रियों की जान के लिए मुसीबत बन सकतीं हैं। सेक्टर-37 और सिटी सेंटर से संचालित हो रहीं निजी बसों में सुरक्षा का अभाव है। फायर एक्सटिंग्विशर समेत फर्स्ट ऐड बाक्स भी बसों में नहीं हैं। इमरजेंसी निकास के हिस्से को बाहर से जाली लगाकर बंद कर दिया गया है। पूर्व में चले अभियानों में दर्जनों बसों पर कार्रवाई कर सीज हुईं।
बिना मानकों के सड़कों पर खुलेआम बसें दौंड रहीं हैं। कम किराये में लंबी दूरी तक दौड़ रहीं इन बसों में यात्रियों का सफर जोखिम भरा है। सुरक्षा यह बसें परिवहन विभाग और सड़कों पर तैनात यातायात पुलिस की आंखों के सामने से गुजरतीं हैं। जैसलमेर में इसी तरह से बस में आग लगने से 20 यात्रियों की जलकर मौत हो गई। गाैतमबुद्ध नगर में भी डग्गामार और बिना नियमों का पालन करे बसों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है।
निजी बस बिना फिटनेस और प्रदूषण नियमों का पालन कर सड़कों पर दौड़ रहीं हैं। बसों में क्षमता से अधिक सवारियों को ढ़ोया जा रहा है। दैनिक जागरण ने ऐसी बसों की पड़ताल की तो तमाम खामियां उजागर हुईं। बसों के इमरजेंसी निकास वाले शीशे पर जालियां लगाकर बंद किया गया है। हादसा या किसी तरह की घटना होने पर इमरजेंसी खिड़की तोड़कर सवारियां बाहर भी नहीं निकल सकतीं हैं।
बसों में फायर एक्सटिंग्विशर समेत फर्स्ट ऐड बाक्स भी नहीं मिले। बसों से निकली चिंगारी भी बिना फायर एक्सटिंग्विशर के भीषण आग का रूप ले सकती है। दरवाजों पर सामान बंद कर दिया जाता है। परीचौक से नोएडा के बीच संचालित होने वाली निजी बसों की हालत बेहद खराब मिली। इन बसों के शीशे टूटे मिले। क्षमता से दोगुनी सवारियां और सुरक्षा मानकोंकी खुलेआम अवहेलना भी दिखी।
यात्रियों का कहना है कि ग्रेटर नोएडा में रोजाना हजारों यात्री नोएडा, दिल्ली और आसपास के इलाकों के लिए निजी बसों पर निर्भर हैं। लेकिन ये बसें सड़क पर मौत के सौदागर बन कर दौड़ रही हैं। व्यस्त समय में 50 सीट वाली बसों में 80-90 लोग ठूंस दिए जाते हैं। इन बसों के शीशे टूटे हैं, ब्रेक ढीले हैं। जोधपुर जैसा हादसा कब हो जाए पता नहीं।
सस्ती वायरिंग और पर्दे बनती है आग की वजह
ऑटो इलेक्ट्रिकल कंपनी इंडोप्लास्ट के प्रबंधक जेडआर रहमान ने बताया कि बसों में चार्जिंग शाकिट लगाया जाता है। इसको लोकल इलेक्ट्रिकल कंपनी से लगवाया जाता है। जो डीसी (डायरेक्ट करंट) को एसी (आल्टरनेट करंट) में कन्वर्ट करता है। इससे स्पार्किंग होने की संभावना ज्यादा होती है। इसके अलावा बसों में पर्दे फायर प्रूफ नहीं लगवाए जाते है। स्पार्किंग होने से पर्दे आसानी से आग पकड लेते हैं। बसाें में लाइटिंग के लिए लगाई गई वायरिंग की क्वालिटी खराब होती है। यह सब बस में आग लगने की वजह बनती हैं।
बिहार-पूर्वांचल से दिल्ली तक बिना फिटनेस के पहुंच जाती हैं बसें
बिहार और पूर्वांचल के जिलों से सवारियों लेकर बसें दिल्ली तक पहुंचतीं हैं। दो प्रदेश और कई जिलों को पार कर यह बसें अपने गंतव्य तक पहुंची जाती है। वर्ष 2023 में डबल डेकर बस में आग लगने की घटना के बाद परिवहन विभाग और यातायात टीम ने अभियान चलाया तो सात बसों को फिटनेस और परमिशन नहीं होने पर सीज कर कार्रवाई की गई। इसके अलावा 43 डग्गामार वाहनों पर ई-चालान की कार्रवाई हुई।
गाैतमबुद्ध नगर में हैं 4000 से अधिक बसें
परिवहन विभाग के पास गौतमबुद्ध नगर में 4000 से अधिक बसें पंजीकृत हैं। यह कंपनियों और अन्य जगहों पर लगीं हुईं हैं।
डग्गामार बसों से परिवहन निगम को घाटा
नोएडा-ग्रेटर नोएडा से दर्जनों निजी बसों का संचालन हो रहा है। यह बसें डिपो के पास से सवारियां भरतीं हैं। जिस रूट का अनुमति हैं उससे भी अलग यह दौड़ रहीं हैं। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस की ओर से नियमित निगरानी नहीं होने से बसों का संचालन मनमानी रूप से हो रहा है।
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