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    रियल एस्टेट की शुरुआती चुनौतियां बहुत आसानी से होंगी दूर

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 06 Aug 2022 06:35 PM (IST)

    जागरण संवाददाता नोएडा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ा दिया है। 4.90 फीसद से बढ़कर अब रेपो रेट 5.40 फीसद हो गया है। देश में उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने वाले इस प्रयास का असर अब होम लोन के ब्याज दरों पर पड़ेगा।

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    रियल एस्टेट की शुरुआती चुनौतियां बहुत आसानी से होंगी दूर

    जागरण संवाददाता, नोएडा : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ा दिया है। 4.90 फीसद से बढ़कर अब रेपो रेट 5.40 फीसद हो गया है। देश में उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने वाले इस प्रयास का असर अब होम लोन के ब्याज दरों पर पड़ेगा। बैंक इस बढ़ी हुई दर के अनुसार अपनी ब्याज दरों को बढ़ाएंगे। इसका सीधा असर आम आदमी की ईएमआइ पर पडे़गा। रेपो रेट की बढ़ोत्तरी पर दिल्ली-एनसीआर के रियल एस्टेट डेवलपर्स ने आवश्यक कदम बताया है। इसका रियल एस्टेट सेक्टर पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। जाहिर है बाजार की मांगों में शुरुआती नर्मी आएगी, लेकिन संपत्ति की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि और बाजार में नए खरीदारों की भरमार है, इसलिए शुरुआती चुनौतियां बहुत आसानी से दूर हो जाएंगी।

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    क्रेडाई वेस्टर्न यूपी अध्यक्ष अमित मोदी ने बताया कि बढ़ोतरी ने एक बार फिर कर्ज पर ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है। यह निश्चित रूप से घर खरीदारों की क्षमता को प्रभावित करने वाला है। खासकर मध्यम वर्ग पर इसका असर दिखेगा। इस बढ़ोतरी के बाद लाखों घर खरीदार संपत्ति बाजार से दूर हो सकते हैं। इससे अचल संपत्ति बाजार में परियोजनाओं की बिक्री की गति कम हो जाएगी। क्रेडाई एनसीआर अध्यक्ष मनोज गौड ने बताया कि इस वृद्धि के साथ रेपो दर अपना चक्र पूरा करते हुए महामारी पूर्व के स्तर पर वापस आ गई है। हमें नहीं लगता कि इसका उपभोक्ताओं की भावनाओं पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वह वर्तमान में उत्साहित है।

    एसकेए ग्रुप निदेशक संजय शर्मा ने बताया कि भले ही रियल एस्टेट क्षेत्र रेपो दर को अपरिवर्तित रहना पसंद करता हो, लेकिन जमीनी स्तर की वास्तविकता को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है। रेपो दर में 50 बीपीएस की बढ़ोतरी करके आरबीआई ने एक अच्छा संतुलन बनाने की कोशिश कर एक उचित ²ष्टिकोण अपनाया है। गुलशन ग्रुप निदेशक दीपक कपूर ने बताया कि भले ही सरकार इनपुट लागत पर मुद्रास्फीति के दबाव पर लगाम लगाने के प्रयास कर रही है, मगर फिर भी यह अभी कम्फर्ट जोन में नहीं है। आवासीय और वाणिज्यिक दोनों क्षेत्रों में काम कर रहे एक रियल एस्टेट डेवलपर के रूप में, यह समग्र परि²श्य पर एक तटस्थ प्रभाव डालने वाला है। महागुन ग्रुप निदेशक अमित जैन रेपो दर में वृद्धि ने मुद्रास्फीति की चुनौतियों को कम करने के लिए आरबीआई की प्रतिबद्धता को दिखाया है जिसका भारत लंबे समय से सामना कर रहा है।