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    World Stroke Day: सर्दी में बाहर निकल रहे हैं कम और खा रहे हैं वसायुक्त भोजन, तो हो जाएं सतर्क

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 11:42 AM (IST)

    विश्व स्ट्रोक दिवस पर विशेषज्ञों ने युवाओं में बढ़ रहे स्ट्रोक के खतरे पर चिंता जताई है। खराब जीवनशैली, तनाव, धूम्रपान और असंतुलित आहार इसके मुख्य कारण हैं। सर्दियों में खतरा और बढ़ जाता है। चेहरे का ढलना, हाथ-पैर का सुन्न होना जैसे लक्षणों को अनदेखा न करें। समय पर इलाज से मस्तिष्क को बचाया जा सकता है। 

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    सुमित शिशोदिया, नोएडा। खराब जीवनशैली, अत्यधिक तनाव, धूमपान और शराब के सेवन से युवाओं को स्ट्राेक जैसी बीमारी जकड़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बुजुर्ग या 40 वर्ष से अधिक के लाेगों में होेने वाली बीमारी 20 से 30 वर्ष की उम्र के युवाओं में भी देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण असंतुलित आहार, मोटापा और हाई ब्लडप्रेशर व शुगर समेत अन्य हैं। बुधवार को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाएगा। इस पर हमनें विशेषज्ञों से बात कर लक्षण और अन्य महत्वपूर्ण चीजें जानीं। पेश है इस रिपोर्ट में:

    कैलाश अस्पताल के न्यूरोलाजिस्ट डा. अनिरूद्ध आर देशमुख का कहना है कि स्ट्रोक में चेहरे का एक हिस्सा अचानक ढलना, हाथ-पैर का सुन्न होना, बोलने या समझने में दिक्कत, आंखों में धुंधलापन, सिरदर्द, चक्कर आना या संतुलन बिगड़ना प्रमुख कारण हैं। ऐसे लक्षणों को हल्के में न लें। उनके मुताबिक, स्ट्रोक के बाद पहले 4.5 घंटे ‘गोल्डन आवर’ होते हैं। इतने समय में इलाज कराने से मस्तिष्क को क्षति से बचाया जा सकता है। खुद बिना इलाज किए मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं।

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    मैक्स अस्पताल के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अमित श्रीवास्तव बताते हैं कि सर्दियों में स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। ठंड से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं, जिससे रक्तचाप में तेज़ी आती है। दिल और दिमाग तक रक्त की सप्लाई रुकने से हेमरेजिक स्ट्रोक बढ़ जाते हैं। सर्दी में लोग कम बाहर कम निकलते हैं। कैलोरी और वसायुक्त भोजन लेने से वजन व कोलेस्ट्राल बढ़ता है। कम पानी पीने से डिहाइड्रेशन और रक्त में थक्के बनने की संभावना बढ़ती है।

    यथार्थ अस्पताल के डा. सत्यन नंदा बताती हैं कि प्रतिमाह 10-15 मरीजों में स्ट्रोक के लक्षण मिलते हैं। हर दिन एक मरीज में स्ट्रोक की पुष्टि होने पर इलाज करते हैं। चिंता की बात है कि युवाओं के अलावा से धूमपान करने वाली युवा महिलाओं में भी स्ट्रोक बढ़ रहे हैं। अच्छी बात है कि करीब दो-तिहाई स्ट्रोक पूरी तरह रोके जा सकते हैं।

    ब्लड प्रेशर नियंत्रण, धूमपान छोड़ने, संतुलित आहार से जोखिम कम हो जाता है। उन्होंने 15 वर्ष के मरीज का इलाज किया है। 20 साल के युवक को मैच में बल्लेबाजी के दौरान अचानक स्ट्रोक हो गया था। तेज़ी से गर्दन घुमाने के कारण मस्तिष्क की एक धमनी फट गई। इसे आर्टीरियल डिसेक्शन कहते हैं। उन्होंने युवाओं से धूमपान और शराब का सेवन व अन्य लापरवाही न बरतने की अपील की है।