सपा ने बार अध्यक्ष प्रमेंद्र भाटी पर खेला दांव, विधान परिषद स्नातक चुनाव में बनाया प्रत्याशी
समाजवादी पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पीडीए को मजबूत करने के लिए गौतमबुद्ध नगर बार अध्यक्ष प्रमेंद्र भाटी को मेरठ-सहारनपुर सीट से विधान परिषद स्नातक चुनाव का प्रत्याशी घोषित किया है। प्रमेंद्र भाटी ने अखिलेश यादव का आभार व्यक्त करते हुए इसे समाज और अधिवक्ताओं का सम्मान बताया। सपा का यह कदम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर समाज को लामबंद करने का प्रयास माना जा रहा है।

विधान परिषद स्नातक चुनाव में मेरठ-सहारनपुर सीट से गौतमबुद्ध नगर बार अध्यक्ष प्रमेंद्र भाटी को प्रत्याशी घोषित किया गया।
अर्पित त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। समाजवादी पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) को और अधिक मजबूत धार देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने विधान परिषद स्नातक चुनाव में मेरठ-सहारनपुर सीट से गौतमबुद्ध नगर बार अध्यक्ष प्रमेंद्र भाटी को प्रत्याशी घोषित किया है।
प्रमेंद्र भाटी ने कहा कि उन्हें प्रत्याशी बनाए जाना कोई सामान्य बात नहीं है। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मेरे समाज और अधिवक्ताओं को बड़ा सम्मान देने का काम किया है। प्रदेश में इन दिनों विधान परिषद स्नातक एवं शिक्षक सीटों के चुनाव की दौड़ चल रही है। सपा मेरठ सहारनपुर खंड सीट से शिक्षक सीट पर पहले ही हापुड़ जनपद से नितिन तोमर को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।
वहीं रविवार सुबह पार्टी ने गौतमबुद्धनगर से प्रमेंद्र भाटी को प्रत्याशी के तौर पर घोषित किया है। प्रमेंद्र भाटी गुर्जर समाज से आते हैं। ऐसे में सपा के इस फैसले को पीडीए को मजबूती प्रदान करने के तौर पर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि सपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर समाज और अधिवक्ताओं को लामबंद करने के उद्देश्य से प्रमेंद्र भाटी पर दाव खेला है।
सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भाटी और वरिष्ठ नेता देव रंजन नागर की इसमें अहम भूमिका रही है। प्रमेंद्र भाटी का कहना है कि प्रदेश में पीडीए की लहर चल रही है। बता दें कि मेरठ सहारनपुर स्नातक खंड में आने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नौ जनपदों में काफी संख्या में गुर्जर हैं। साथ ही अधिवक्ताओं की भी बड़ी संख्या है।
प्रमेंद्र भाटी दूसरी बार बार अध्यक्ष बने हैं। वहीं पूर्व में दो बार, बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के सदस्य पद का भी चुनाव लड़ चुके हैं। इस सीट के लिए किसी पार्टी ने पहली बार किसी अधिवक्ता को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में पार्टी ने उन्हें विधान परिषद का प्रत्याशी बनाकर एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास किया है।
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