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    दादरी तहसील में गहरी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 28 Feb 2022 10:58 PM (IST)

    मनीष तिवारी ग्रेटर नोएडा ग्राम समाज की जमीनों के पट्टे के खेल में दादरी तहसील में भ्रष्टाचार ...और पढ़ें

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    दादरी तहसील में गहरी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें

    मनीष तिवारी, ग्रेटर नोएडा:

    ग्राम समाज की जमीनों के पट्टे के खेल में दादरी तहसील में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं। छपरौला के साथ ही नूरपुर, खदेड़ा, धूममानिकपुर, चिटहेरा में लगभग पांच सौ करोड़ रुपये की तीन हजार बीघा जमीन पर पट्टे का खेल है। एडीएम वित्त वंदिता श्रीवास्तव की कोर्ट में सुनवाई के बाद छपरौला गांव में लगभग 200 करोड़ रुपये कीमत की 45 बीघा जमीन का पट्टा दो दिन पूर्व ही निरस्त किया गया है। पट्टे के खेल के अन्य मामलों की सुनवाई चल रही है। जिन लोगों के नाम पर पट्टा है, वह करोड़ों रुपये में जमीन बेच कर अपनी जेब भर रहे हैं। जमीन खरीदने वाले इन जमीनों पर अवैध कालोनियां काट रहे हैं। तहसील के जिन कर्मचारियों ने पट्टे की जमीनों में खेल किया है, जिला प्रशासन ने उनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। जल्द ही अन्य मामलों में आ सकता है फैसला दादरी तहसील क्षेत्र में पट्टा फर्जीवाड़े के मामले अधिक हुए हैं। छपरौला में लगभग 300 बीघा, नूरपुर में 1400 बीघा जमीन पर 98 लोगों के नाम पट्टे, खदेड़ा गांव में 150 बीघा व धूममानिकपुर गांव में 125 बीघा जमीन पर लगभग बीस लोगों के नाम पट्टे हुए हैं। ज्यादातर पट्टे गांव से बाहर के लोगों के नाम हुए हैं। साथ ही उन लोगों के नाम पूर्व में भी जमीन है। नियम से इतर हुए थे पट्टे नियम के तहत पट्टे की जमीन का आवंटन ऐसे व्यक्ति को होता है जो उसी गांव का निवासी हो। उसके नाम पर जमीन या मकान न हो और वह सरकारी नौकरी में न हो। एक व्यक्ति को पांच से 15 बीघा तक ही पट्टा हो सकता है। लेकिन पट्टे देने के खेल में सभी नियम ताक पर रखे गए थे। सरकारी कर्मचारियों के साथ ही गांव के बाहर के लोगों के नाम पट्टा आवंटित हुआ। छपरौला गांव में दारोगा व उनके भाई जो सरकारी कर्मचारी थे, उनके नाम पट्टा आवंटित हुआ था। अभी तक की जांच में पता चला है कि चिटहेरा गांव में हुए पट्टे में बागपत निवासी कृष्णपाल, बेलू व कुछ अन्य के नाम पर पट्टा आवंटित है। मामले की जांच चल रही है। मिल कर हुआ था खेल जिस जमीन का पट्टा आवंटित होता है वह असंक्रमणीय होती है। जिस व्यक्ति के नाम पट्टा होता है वह इस जमीन को बेच नहीं सकता। संबंधित व्यक्ति के नाम यदि दस वर्ष तक पट्टा रहता है तो वह तहसील में आवेदन कर जमीन को संक्रमणी करा सकता है। समय सीमा पूरा हुए बिना ही तहसील कर्मचारियों के साथ मिलकर पट्टा धारक ने जमीन संक्रमणी करा ली थी। वर्तमान में गौतमबुद्ध नगर में जमीन की कीमत आसमान छू रही है। पट्टा धारक प्लाट काटकर जमीन बेच रहे हैं। जिम्मेदार पर नहीं हुई कार्रवाई तहसील के अधिकारियों की मिलीभगत से नियम से पूर्व ही पट्टे संक्रमणीय हो गए। हाथ के हाथ ही खसरा खतौनी में पट्टा धारक का नाम दर्ज हो गया। बीघे के हिसाब से लाखों रुपये लेकर अधिकारियों ने खेल किया। अपने आप को बचाते हुए अधिकारी नीचे के कर्मचारी पर ठीकरा फोड़ देते हैं। पट्टे के फर्जीवाड़े के मामले में अभी तक कई साल पूर्व सिर्फ एक कानूनगो के खिलाफ ही कार्रवाई हुई थी। मोटा पैसा कमाने वाले अधिकारियों का दामन साफ बचा हुआ है। पट्टा निरस्त करने के बाद दोष निर्धारण हुआ है या नहीं यह देखा जाएगा। यदि दोष निर्धारण नहीं हुआ है तो किया जाएगा। मामले में जो भी दोषी मिलेंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

    सुहास एलवाई, जिलाधिकारी

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