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    रेरा ट्रिब्यूनल का बिल्डर पर शिकंजा, 45 दिनों में देरी का ब्याज चुकाने का आदेश

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 12:42 PM (IST)

    रेरा ट्रिब्यूनल ने एक बिल्डर को 45 दिनों की देरी के लिए ब्याज चुकाने का आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल ने बिल्डर पर शिकंजा कसते हुए यह फैसला सुनाया। यह आदेश ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण (यूपी रेरा ट्रिब्यूनल) ने को ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-27 स्थित एक टाउनशिप के अंतर्गत आने वाले एक आवासीय क्लस्टर के बिल्डर को निर्देश दिया कि वह घर खरीदारों को 45 दिनों के भीतर देरी का ब्याज अदा करे। साथ ही टाउनशिप के मास्टर क्लब और गोल्फ कोर्स के नाम पर वसूली गई राशि भी लौटाए।

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    न्यायाधिकरण ने बिल्डर को यह भी निर्देश दिया कि वह पंजीकृत त्रिपक्षीय सब-लीज डीड में छूटे हुए आवश्यक विवरण जोड़ने के लिए एक करेक्शन डीड (संशोधन विलेख) निष्पादित करे। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार (अध्यक्ष) और रामेश्वर सिंह (प्रशासनिक सदस्य) की पीठ ने पारित किया।
    यह फैसला एआर लैंडक्राफ्ट एलएलपी द्वारा दायर अपीलों को खारिज करते हुए दिया गया।

    यह कंपनी 100 एकड़ की गोदरेज गोल्फ लिंक टाउनशिप के अंतर्गत आने वाले गोदरेज क्रेस्ट रेजिडेंशियल क्लस्टर की प्रमोटर है। अपील सात मार्च 2024 के यूपी रेरा के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। आदेश के मुताबिक बिल्डर को प्रत्येक प्रतिवादी को 50,000 रुपए मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 45 दिनों के भीतर अदा करने होंगे।

    यूपी रेरा को निर्देश कि वह 2016 के रेरा अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई पर विचार करे।राज्य सरकार को यह जांच करने के निर्देश कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने आरईपी (रिक्रिएशनल एंटरटेनमेंट पार्क) योजना और भवन नियमों का उल्लंघन किया या नहीं, जिससे बिल्डर को लाभ पहुंचा। न्यायाधिकरण ने कहा कि बिल्डर ने परियोजना की शुरुआत से ही धोखाधड़ीपूर्ण, अनुचित और भ्रामक प्रथाओं में लिप्त होकर काम किया।

    आदेश में यह भी कहा गया कि बिल्डर द्वारा परियोजना की शुरुआत से ही धोखाधड़ी, अनुचित और भ्रामक तरीके अपनाने की बात दर्ज की गई। ग्रेनो प्राधिकरण द्वारा दी गई नियामक स्वीकृतियों पर गंभीर सवाल उठाए गए और रेरा को निर्देश दिया गया कि वह आरईपी योजना का पूरा रिकार्ड, स्वीकृत लेआउट और सब-लीज दस्तावेज प्रस्तुत करे।

    प्रमुख सचिव को निर्देश कि वे यह जांच करें कि ग्रेनो प्राधिकरण ने आरईपी योजना और भवन नियमों का उल्लंघन कर प्रमोटर को लाभ पहुंचाया या नहीं। यह आकलन करने के निर्देश कि रिक्रिएशनल ग्रीन एरिया और आरईपी योजना से संबंधित प्रक्रियाओं को दरकिनार किया गया या नहीं। यह दर्ज किया गया कि खरीदारों को संपत्ति की प्रकृति, स्वामित्व हस्तांतरण और क्लब व गोल्फ कोर्स शुल्क (जो मूलतः वैकल्पिक थे) के बारे में गुमराह किया गया, और इन्हीं शुल्कों का उपयोग कब्जा और कन्वेयंस रोकने के लिए किया गया।

    यह भी दर्ज कि प्रमोटर ने इन शुल्कों के माध्यम से लगभग 100 करोड़ रुपए एकत्र किए और आवंटियों से धोखाधड़ी कर धन वसूला। त्रिपक्षीय सब-लीज डीड में गंभीर कमियां पाई गईं, जिनमें प्लाट का आकार, एक्सक्लूसिव एरिया, सीमा विवरण और अनुपातहीन अविभाजित हिस्सेदारी का उल्लेख न होना शामिल है।

    न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि ये उल्लंघन अलग-अलग चूक नहीं बल्कि एक सुनियोजित तरीके का हिस्सा हैं, जो परियोजना की स्वीकृतियों, समझौतों और खरीदारों पर डाले गए वित्तीय दायित्वों में दिखाई देता है। गोदरेज समूह के प्रवक्ता ने कहा कि वह न्यायाधिकरण के निष्कर्षों और निर्देशों से हतप्रभ हैं। आदेश का विस्तृत विश्लेषण कर सक्षम न्यायालय में चुनौती देने की उचित प्रक्रिया अपनाएंगे।