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    नोएडा: मासूम का अपहरण कर फिरौती मांगने के मामले में 15 साल बाद न्याय, तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा

    By Gajendra PandeyEdited By: Anup Tiwari
    Updated: Mon, 01 Dec 2025 10:55 PM (IST)

    नोएडा में 2010 में एक मासूम बच्ची के अपहरण और फिरौती मांगने के मामले में 15 साल बाद अदालत ने तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस फैसले से पीड़ित परिवार को न्याय मिला है। यह मामला 2010 का है, जब बच्ची का अपहरण कर फिरौती की मांग की गई थी।

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    जिला अदालत ने सुनाई सजा। प्रतीकात्मक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। जिला अदालत ने दो वर्षीय मासूम का अपहरण कर 40 लाख रुपये की फिरौती मांगने के दोषी सोनू कश्यप, शिव कुमार और रिड़कू को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और 30-30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। चर्चित मामले में करीब 15 वर्ष चली सुनवाई के बाद फैसला आया है।

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    अप्रैल 2010 का है मामला

    नोएडा की सेक्टर-24 कोतवाली में 27 अप्रैल 2010 में मामला दर्ज किया गया था। वादी ने बताया था कि दो वर्षीया पुत्री घर के बाहर खेल रही थी। शिकायतकर्ता की मौसी का नाबालिग लड़का (मौसेरा भाई) घर से बच्ची को लेकर नीचे चला गया। काफी देर तक बच्ची के घर नहीं लौटने पर स्वजन ने मौसेरे भाई के मोबाइल फोन पर काल की, पहले बेल जाने के बाद भी काल रिसीव नहीं, फिर स्विच आफ कर लिया।

    परेशान स्वजन के काफी तलाश करने के बाद भी बच्ची नहीं मिलने पर गुमशुदगी दर्ज कराई थी। अगले दिन 8 अप्रैल को वादी के घर के लैंडलाइन नंबर पर काल आई। आरोपिताें ने पुत्री उनके कब्जे में होने की बात कही, छोड़ने के लिए 40 लाख रुपये की फिरौती मांगी। घटना के बारे में पुलिस को बताने पर बच्ची को जान से मारने की धमकी दी।

    स्वजन ने आनन-फानन पुलिस को पूरा घटना क्रम बताया। मौसी के लड़के द्वारा ही साथियों के साथ बच्ची का अपहरण करने की आशंका जताई। पुलिस ने पांच आरोपितों को मेरठ से गिरफ्तार कर बच्ची को सुरक्षित बरामद कर लिया था। घटना के मुख्य आरोपित मौसी के लड़के का किशोर न्यायालय में अलग मामला चल रहा है।

    मामले में मौसी का लड़का, सोनू, शिव कुमार, दिनेश और रिड़कू हैं। अदालत ने एक आरोपित दिनेश की 2014 में मौत होने से उसकी कार्रवाई समाप्त कर दी थी। वादी की मौसी का लड़का घटना के समय किशोर था, उसकी पत्रावली किशोर न्यायालय भेजी गई है। बाकी के तीनों आरोपितों की सुनवाई सत्र न्यायालय में चली।

    आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा

    अदालत ने तीनों को दोषी करार दिया। फैसले में कहा कि मासूम बच्ची के जीवन को खतरे में डालकर गंभीर अपराध किया है। तीनों दोषियों को धारा-364ए आईपीसी के तहत आजीवन कारावास व 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर दो दो माह की अतिरिक्त जेल काटनी होगी।

    इसके अलावा दोषियों पर धारा-506 आइपीसी के तहत दो-दो वर्ष की सजा व 5-5 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। जुर्माना न देने पर एक माह का कारावास भुगतना होगा। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी।