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    प्रदूषित शहरों की लिस्ट में पहले और दूसरे स्थान पर नोएडा-ग्रेनो, ग्रेप की पाबंदियों का शहर में नहीं दिखा असर

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 10:35 AM (IST)

    दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ने पर ग्रेप के पहले चरण के नियम लागू हुए। नोएडा और ग्रेटर नोएडा देश के सबसे प्रदूषित शहर रहे। नियमों के बावजूद शहर में कूड़ा जलता रहा, धूल उड़ती रही और खुले में मलबा ढोया गया। प्राधिकरण के वाहन भी बिना ढके मलबा ढोते दिखे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नियमों का पालन कराने का प्रयास कर रहा है।

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    मकौड़ा गांव गोलचक्कर के पास रोड टूटी होने के कारण उड़ती धूल के बीच गुजरते वाहन। जागरण

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब जोन में पहुंचते ही वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने ग्रेप के पहले चरण की पाबंदियां मंगलवार से लागू कर दी है। एनसीआर के शहरों में वायु की गुणवत्ता तेजी से बिगड़ रही है। बुधवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जारी बुलेटिन में नोएडा देश भर में सबसे अधिक प्रदूषित और ग्रेटर नोएडा दूसरा सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहा।

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    नोएडा की वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब श्रेणी में 318 और ग्रेटर नोएडा गुणवत्ता सूचकांक 263 खराब श्रेणी में दर्ज हुआ। दिल्ली एनसीआर के शहरों में ग्रेप के पहले चरण की पाबंदियां लगने के बावजूद बुधवार को शहर में आम दिनों की तरह कूड़े जलाते हुए देखे गए। सड़कों पर दिन भर धूल उड़ती रही और पाबंदियां दरकिनार दिखी। ग्रेप की पाबंदियों का अधिकांश स्थानों पर अनुपालन होता नहीं दिखाई दिया।

    ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से अनुबंधित मलबा उठाने वाले वाहन चालक भी ट्रैक्टर में बिना मलबा को ढके ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक पूरे दिन परिवहन करते रहे। दूसरी ओर तिलपता, मकौड़ा, सूरजपुर, कासना समेत औद्योगिक क्षेत्र साइट सी में टूटी सड़कों से धूल उड़ती हुई दिखाई दी। इनके रोकथाम के लिए प्रयास नाकाफी दिखे। इस तरह की लापरवाही ग्रेप के दूसरे चरण को न्यौता दे रहे हैं।

    सुबह से शाम तक सैकड़ों डंपर-ट्रक खुले में मलवा, रेत और कंस्ट्रक्शन वेस्ट लादे सड़कों पर गरज रहे। मानक के मुताबिक वाहन को हरे नेट से ढकना अनिवार्य, लेकिन 80 प्रतिशत वाहन बिना कवर के ही मलबा लेकर दौड़ते दिखे व सड़क से धूल उड़ती रही। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी विकास मिश्रा ने बताया कि सीएक्यूएम के पाबंदियों को सख्ती से लागू कराने का प्रयास किया जा रहा है। सभी संबंधित निकायों के साथ बैठक कर राहत के प्रयास किए जा रहे हैं।

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