अब सभी रोडवेज ड्राइवरों और कंडक्टरों को सीखनी होगी नई भाषा, मूक-बधिर यात्रियों की सुविधा के लिए उठाया कदम
नोएडा में रोडवेज के चालक और परिचालकों को सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य मूक बधिर यात्रियों के साथ संवाद को बेहतर बनाना ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नोएडा। शहर के रोडवेज के ड्राइवर व कंडक्टर को अब सांकेतिक भाषा सिखाई जाएगी। इसकी शुरुआत रविवार से कर दी गई। इसका प्रमुख उद्देश्य मूक बधिरों के साथ बेहतर तालमेल और समझ बढ़ाना है।
सेक्टर-35 स्थित मोरना डिपो के एआरएम रोहिताश कुमार ने बताया कि रोडवेज की बसों में सभी यात्रा करते हैं। इनमें सामान्य के अलावा मूकबधिर भी शामिल हैं। आमतौर पर चालकों और परिचालकों के लिए लोगों की बात समझना आसान होता है, लेकिन मूक बधिरों से तालमेल नहीं बन पाता है।
जबकि वह अपने संकेतों के माध्यम से कहां जाना है या कहां रुकना समेत हर बात को आसानी से बताते हैं, लेकिन सांकेतिक भाषा की जानकारी ड्राइवरों और कंडक्टरों को न होने से काफी परेशानी होती है।
ऐसे में दोनों के मध्य बेहतर तालमेल और एक दूसरी की बात को बेहतर समझ पाने के लिए ड्राइवरों और कंडक्टरों को सांकेतिक भाषा सिखाई जा रही है। ताकि मूक बधिरों के लिए राह और भी सुगम हो सके।
इसका पहला सत्र रविवार को सेक्टर 35 स्थित मोरना डिपो में आयोजित किया गया। जहां एक दर्जन से अधिक चालक व परिचालकों को सांकेतिक भाषा सिखाई गईं। इसके बाद आए हुए प्रशिक्षकों को सम्मानित किया गया।
चालक परिचालकों को सांकेतिक भाषा बेहतर तरीके से सिखाने और उसमें निपुण बनाने के लिए शुरुआत के हर हफ्ते में एक बार यह सत्र आयोजित किया जाएगा। इसके बाद समय समय पर यह सत्र आयोजित किए जाते रहेंगे, ताकि हर चालक परिचालक को यह सांकेतिक भाषा सिखाई जा सके।
सबको साथ लेकर चलने का लक्ष्य
आरएम मनोज कुमार सिंह ने बताया कि रोडवेज की बसें हर एक वर्ग समुदाय के लिए समभाव से उपलब्ध है। ऐसे में खासकर दिव्यांगों के लिए भी विशेष सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्हें सीट पर बैठने के लिए भी प्राथमिकता दी जाती है।

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