Noida Deer Park: नोएडा में 40 करोड़ से बनेगा डियर पार्क, 10 प्रजातियों के 132 हिरण लाए जाएंगे
नोएडा में 40 करोड़ रुपये की लागत से एक डियर पार्क का निर्माण किया जाएगा। इस पार्क में हिरणों की 10 विभिन्न प्रजातियों के 132 हिरण लाए जाएंगे। यह परियो ...और पढ़ें
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नोएडा बायोडायवर्सिटी पार्क में बनेगा डियर पार्क। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नोएडा। Noida Deer Park: नोएडा में जंगल ट्रेल के बाद अब डियर पार्क का निर्माण किया जाएगा। इसका डिजाइन तैयार हो चुका है और इस पार्क के निर्माण पर 40 करोड़ रुपये खर्च होंगे। निर्माण के लिए 15 दिनों में टेंडर जारी किया जाएगा, जिसकी फाइनल मंजूरी मुख्य कार्यपालक अधिकारी देंगे।
इस परियोजना में हिरणों के लिए बाड़ा, वाटर बॉडी, फेंसिंग, लाइटिंग और ग्रीन एरिया का निर्माण किया जाएगा। ज्ञात हो एक दिसंबर को नोएडा में जंगल ट्रेल का शुभारंभ किया गया था, जहां लोहे के कबाड़ से बनाए गए जंगली जानवरों को रखा गया है। लोग यहां आकर मनोरंजन कर रहे हैं।
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इसी क्रम में बायोडायवर्सिटी पार्क में डियर पार्क बनाने की प्रक्रिया को तेज किया गया है। टेंडर जारी होने और काम आवंटित होने के एक साल के भीतर पार्क का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। यहां एयरपोर्ट से रेस्क्यू किए गए हिरणों को भी रखा जाएगा, जबकि धनौरी वेटलैंड के पास एक रेस्क्यू सेंटर भी बनाया जा रहा है।
सनसेट सफारी में स्पेक्ट्रम लाइट होंगी प्रयोग
प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि करीब 30 एकड़ में मिनी-जू की तर्ज पर इस डियर पार्क को बनाने में करीब 40 करोड़ रुपए की लागत आएगी। यह जिले की पहली सनसेट सफारी होगी।
इसमें रात करीब 10 बजे तक लोग स्पेक्ट्रम लाइट की रोशनी में हिरण व जलीय पक्षियों को देख सकेंगे। अधिकारियों ने बताया कि स्पेक्ट्रम लाइट में वहां पर मौजूद जानवरों को अंधेरा ही लगेगा। वहीं जो लोग सनसेट सफारी में पहुंचेंगे उनको स्पष्ट दिखाई देगा।
अफ्रीका और प्रदेश के चिड़ियाघर से आएंगे हिरण
नोएडा में 10 प्रजातियों के 132 हिरण लाए जाएंगे। इसमें तीन प्रजाति अफ्रीका से एक्सपोर्ट की जाएंगी। इसके अलावा कानपुर, हैदराबाद और लखनऊ के चिड़ियाघर से यहां हिरण लाए जाएंगे।
नोएडा प्राधिकरण ने बताया कि नोएडा, गाजियाबाद और आसपास में ऐसा डियर पार्क नहीं है। इसलिए यहां डियर पार्क बनाया जा रहा है। इसके लिए नियुक्त किए गए सलाहकारों से बातचीत की जा रही है। ताकि विदेश से लाए जाने वाले हिरण के लिए यहां का पर्यावरण अनुकूल बनाया जा सके।

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