विश्व बास्केटबाल दिवस : नोएडा में कोचों ने बदल दी कई बच्चों की जिंदगी, निशुल्क प्रशिक्षण से मिले नए सपने!
वर्ल्ड बास्केटबाल डे पर नोएडा के कोचों की प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जिन्होंने निशुल्क प्रशिक्षण से बच्चों की जिंदगी बदल दी। गाजियाबाद के स्लम इला ...और पढ़ें
-1766291241588.webp)
स्वाति भाटिया, नोएडा। खेल केवल जीतने का नाम नहीं है, यह हमारी छिपी हुई संभावनाओं को पहचानने और उन्हें आकार देने का तरीका है। वर्ल्ड बास्केटबाल डे के इस खास अवसर पर एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जो न सिर्फ खेल को, बल्कि जीवन को भी नया दृष्टिकोण देती है। यह कहानी उन तीन कोचों की है, जिन्होंने अपने समर्पण और मेहनत से बच्चों की जिंदगी बदल दी। नोएडा के तीन कोचों ने बास्केटबाल की ट्रेनिंग दी उन बच्चों को, जिनके पास सिर्फ मेहनत और उम्मीद थी, लेकिन कोई साधन नहीं था।
निश्शुल्क प्रशिक्षण से बच्चों को नया अवसर
गाजियाबाद के एक स्लम इलाके में कुछ बच्चे गुब्बारे से बास्केटबाल बना कर खेलते थे। उनके पास कोई साधन नहीं थे, लेकिन उनकी आंखों में बड़ा खिलाड़ी बनने का सपना था। गाजियाबाद के बिजनेसमैन रतनदीप सिंह, दिल्ली पब्लिक स्कूल के शिक्षक महफूज अहमद और सेंट पोल स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर राम किनकर शर्मा ने इन बच्चों को देखा और समझा कि इन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है।
कोचों ने दिखाया समर्पण, बच्चों को मिला मंच
इन तीनों कोचों ने इन बच्चों के लिए गाजियाबाद के सरकारी स्कूल में निशुल्क ट्रेनिंग दी। फिर, बच्चों को नोएडा स्टेडियम में लाकर प्रोफेशनल बास्केटबाल की ट्रेनिंग दी। इन बच्चों ने अपनी मेहनत से यह साबित कर दिया कि वे किसी से कम नहीं हैं। आज, इनमें से कई बच्चे राज्य स्तर पर बास्केटबाल खेल रहे हैं, और 40 प्रतिशत लड़कियां भी इस खेल में अपनी पहचान बना रही हैं। रतनदीप सिंह ने बताया, हमने शुरुआत में अपनी तरफ से पैसे लगाए और फिर एल्युमिनाई खिलाड़ियों से मदद ली। हम सब मिलकर इन बच्चों की मदद में जुट गए, और आज इसका नतीजा सामने है।
सपने बड़े हैं, मगर रास्ता भी कठिन
इन कोचों की मेहनत और बच्चों के संघर्ष का परिणाम है कि आज 50 से अधिक बच्चे नोएडा स्टेडियम में बास्केटबाल की ट्रेनिंग ले रहे हैं। इन बच्चों को स्टेडियम तक लाने और घर वापस भेजने के लिए नोएडा के कुछ प्राइवेट स्कूलों से मदद मिल रही है। कोचों का मानना है, खेल बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। जब ये बच्चे कोर्ट पर खेलते हैं, तो उनका आत्मविश्वास और भविष्य मजबूत होता है।
वर्ल्ड बास्केटबाल डे का असली मतलब
वर्ल्ड बास्केटबाल डे पर, इन बच्चों और कोचों की कहानी यह सिद्ध करती है कि बास्केटबाल सिर्फ एक खेल नहीं है, यह जीवन का हिस्सा है। यह खेल हमें टीमवर्क, मेहनत और आत्मविश्वास सिखाता है। इन कोचों का समर्पण और बच्चों का संघर्ष इस खेल के असली उद्देश्य को उजागर करता है।
कोच ने हमें स्कूल में देखा, और तब से मेरी यात्रा शुरू हुई। आज मैं नोएडा में प्रैक्टिस करती हूं।
-पीहू सहलौत, स्टेट खिलाड़ी
हम जो कुछ भी हैं, अपने कोच की वजह से हैं, बिना पैसों के हमें निस्वार्थ प्रशिक्षण दे रहे हैं।
-विवेक कुमार, स्टेट खिलाड़ी

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।