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    नोएडा में बिल्डर का बड़ा कारनामा, 26 की मंजूरी लेकर बनाई 29 मंजिला बिल्डिंग; दूसरी जगह मिल रहा है कब्जा

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 09:10 AM (IST)

    नोएडा में एक बिल्डर ने 26 मंजिला इमारत की मंजूरी लेकर 29 मंजिला इमारत बना दी। खरीदारों को कब्जा कहीं और मिल रहा है, जिससे उनमें गुस्सा है। इस मामले में अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि बिल्डर ने बिना अनुमति के अतिरिक्त मंजिलें बना लीं। खरीदार बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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    इमारत की सांकेतिक तस्वीर।

    प्रवेंद्र सिंह सिकरवार, नोएडा। खरीदारों के साथ गड़बडी करने का मामला कम नहीं रहा है। सेक्टर-90 स्थित अल्फाथंब परियोजना में बिल्डर ने 26 की मंजूरी लेकर 29 मंजिला इमारत बनाने का आरोप आवंटियों ने लगाया है। लोअर और अपर ग्राउंड फ्लोर पर दर्शाई गई मानचित्र में खरीदारों को प्रापर्टी पर कब्जा अन्य फ्लोर पर दिया गया।

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    प्राधिकरण की ओर से भी परियोजना को ओसी-सीसी (आक्युपेंसी सर्टिफिकेट-कंम्प्लीशन सर्टिफिकेट) जारी कर रजिस्ट्री की अनुमति भी दे दी गई है। बीते दिनों बिल्डर के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में थाना सेक्टर-142 में मुकदमा भी दर्ज हुआ है। पैसा लेकर प्रापर्टी नहीं देने के आरोप में कई लोग नामजद हैं।

    बता दें नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2014 में सीबीएस इंटरनेशनल प्रोजेक्ट लिमिटेड को आइटी-आइटीईएस (इंफोर्मेशन टेक्नोलाजी-इंफोर्मेशन टेक्नोलाजी इनेबल्स सर्विस) का भूखंड संख्या-1 आवंटन किया था। यहां पर 23 मंजिला इमारत की मंजूरी प्राधिकरण ने दी। सीबीएस की ओर से यहां पर निर्माण शुरू किया गया। वर्ष 2017 में परियोजना में को-डेवलपर की एंट्री हुई।

    प्लान को संशोधित कर प्राधिकरण में जमा कराया गया। 26 मंजिला इमारत का संशोधित प्लान को मंजूरी मिली। 26 मंजिला की इमारत की जगह पर 29 मंजिला बनाई जा रही है। यह मंजूरी भूतल से शुरू होकर 26 वें फ्लोर तक थी। परियोजना में बरती गईं अनियमितताओं और आवंटन में छल करने के आरोपों पर खरीदारों ने प्राधिकरण में कई शिकायतें दर्ज कराईं। प्राधिकरण की ओर से नक्शे से संबंधित दस्तावेज मांगने के लिए कई नोटिस जारी हुए। आखिर में प्राधिकरण की ओर से ओसी-सीसी जारी कर रजिस्ट्री की मंजूरी दे दी गई।

    बिना रजिस्ट्री और स्टांप ड्यूटी जमा किए दे रहे कब्जा

    खरीदार सुम्बुल सिद्दिकी ने बताया कि बुकिंग के समय उनको नक्शे में अपर ग्राउंड फ्लोर को वास्तव में ग्राउंड फ्लोर बताया गया। वर्ष 2014 में उन्होंने प्रोपर्टी बुक की थी। कब्जे के वक्त अब पहली मंजिल पर अपर ग्राउंड का बोर्ड लगाकर प्रोपर्टी बिना रजिस्ट्री और स्टांप ड्यूटी जमा किए दे रहे हैं। गलत जगह पर प्रोपर्टी का कब्जा लेने के लिए वह तैयार नहीं हैं। प्राधिकरण से भी इस संबंध में शिकायत की गई है।

    प्लान में मंजूरी के मुताबिक ही ऊंची बिल्डिंग बनाई जा रही है। रेरा में भी परियोजना से संबंधित सभी जानकारी अपलोड की गईं हैं। जिस जगह बुकिंग हैं प्रोपर्टी उसी जगह दी जा रहीं हैं।


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    -ईशान रस्तोगी, निदेशक, सीबीएस इंटरनेशनल प्रोजेक्ट लिमिटेड