विकास तो हुआ लेकिन स्मार्टनेस कहां? दिल्ली के विकल्प बने नोएडा-ग्रेटर नोएडा स्मार्ट सिटी मिशन में क्यों पिछड़े
दिल्ली के बोझ को कम करने के लिए बसा नोएडा-ग्रेटर नोएडा औद्योगिक शहर तो बने, पर स्मार्ट सिटी नहीं बन पाए। 30 लाख की आबादी आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रही है। दैनिक जागरण ने एक मुहिम शुरू की है, जिसका लक्ष्य है इन शहरों को स्मार्ट बनाने की राह में आने वाली बाधाओं को उजागर करना और विशेषज्ञों के सुझावों को शामिल करना है।

स्मार्ट सिटी मिशन में पिछड़ रहे नोएडा-ग्रेटर नोएडा।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। उद्योगों के प्रदूषण और आबादी के बोझ से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को राहत दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश के सटे इलाके में प्रदेश सरकार औद्योगिक शहर नोएडा की परिकल्पना की थी। 1975 में न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण का गठन किया गया।
मकसद था कि दिल्ली के उद्योगों को बाहर बसाकर रोजगार के लिए दिल्ली में आने वाले प्रवासी नागरिकों के बोझ को कम किया जाए, लेकिन नोएडा की परिकल्पना सिर्फ औद्योगिक शहर विकसित करने भर की नहीं थी, बल्कि ऐसे नियोजित शहर के रूप में की गई थी, जहां तकनीक और सुविधाओं के तालमेल से लोगों को जीवनयापन के उच्च मानक हों। स्वच्छ पर्यावरण, जाम से मुक्त सड़क, सीवर और ठोस अपशिष्ट निस्तारण की आधुनिक तकनीकी पर आधारित व्यवस्था, सार्वजनिक परिवहन और रहने के लिए आवास हों।
1991 में बसा ग्रेटर नोएडा
नोएडा पर बढ़ते दबाव के संतुलित करने के लिए 1991 में वृहद नोएडा यानि ग्रेटर नोएडा अस्तित्व में आया। विकास में अवरोध को दूर करने के लिए नोएडा और ग्रेटर नोएडा को स्वायत्तशासी संस्था बनाया गया। विकास की गति तेज करने के लिए गौतमबुद्ध नगर जिले का गठन किया गया।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक शहर के ताैर पर देश भर में विकास का माडल बनकर तो उभरे, लेकिन स्मार्ट शहर के तौर पर वह छवि नहीं बना पाए, जिसकी परिकल्पना की गई थी। नोएडा के गठन के पचास साल बाद भी जिले की करीब 30 लाख की आबादी सार्वजनिक परिवहन, सीवर व अपशिष्ट निस्तारण, साफ पेयजल, बिजली, सुरक्षा जैसी स्मार्ट सिटी की सुविधाओं से दूर है। अधिसूचित गांव के विकास की योजना में लापरवाही ने उन्हें स्लम में बदल दिया है।
दैनिक जागरण की खास मुहीम
स्मार्ट सिटी बनने में नोएडा ग्रेटर नोएडा में कहां कमी रह गई, कौन से प्रयास फलीभूत होने चाहिए जो दोनों शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए जरूरी हैं। प्राधिकरणों का ध्यान इस पर आकर्षित करने के लिए दैनिक जागरण ने इस मकसद से यह शृंखला शुरू की है।
इस शृंखला में हम यातायात व्यवस्था, परिवहन व्यवस्था, कचरा निस्तारण, सुरक्षा, पेयजल व्यवस्था, बिजली व्यवस्था, इको-फ्रेंडली बिल्डिंग्स, अतिक्रमण, सड़कें, पर्यावरण संरक्षण विषयों पर नोएडा-ग्रेटर नोएडा में हुए कार्यों, खामियों को रेखांकित करने के साथ विशेषज्ञों के सुझाव शामिल करेंगे। जिससे की शहर को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने में दिशा मिल सके।

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