नोएडा एयरपोर्ट की वजह से आसमान छू रहे जमीन के दाम, तीसरे चरण में इन गांवों में विकसित होगी टाउनशिप
नोएडा एयरपोर्ट के चलते यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में अवैध निर्माण बढ़ रहा है। कॉलोनाइजर अधिग्रहण से बचने के लिए किसानों से जमीन खरीदकर निर्माण कर रहे हैं। लीजबैक और विस्थापन के फायदे के लालच में अवैध निर्माण किया जा रहा है। तीसरे चरण में विस्थापित होने वाले गांवों के लिए टाउनशिप की जमीन पर भी अवैध निर्माण जारी है, जिसके खिलाफ प्राधिकरण कार्रवाई कर रहा है।

सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, जेवर। जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की वजह से जमीन के रेटों में अप्रत्याशित उछाल आया है। इससे एयरपोर्ट क्षेत्र से लेकर यमुना प्राधिकरण के क्षेत्र में अवैध निर्माण की बाढ़ आई हुई है। अवैध निर्माण की दो बड़ी वजह है कॉलोनाइजर किसानों से जमीन सस्ते दामों में खरीदकर अधिग्रहण से बचाने के लिए निर्माण कर रहे हैं।
अगर प्रशासन या प्राधिकरण किसी विकास परियोजना के लिए ऐसी जमीनों का अधिग्रहण करता भी है तो माफिया मुआवजे और विस्थापन या फिर लीज बैक की लड़ाई लड़ने की प्लानिंग के चलते अंधाधुंध अवैध निर्माण कर रहे हैं। नगला हुकमसिंह गांव में हुए हादसे के बाद से एयरपोर्ट क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण थम सा गया है, लेकिन यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में अभी भी ऐसे लोगों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।
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एयरपोर्ट के तीसरे चरण में विस्थापित गांव के लिए चिह्नित जमीन पर होता निर्माण। जागरण
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आसपास के क्षेत्रों की अधिकतर जमीन यमुना प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में आती है। इस क्षेत्र में यमुना प्राधिकरण लगातार विकास योजनाओं के लिए आपसी सहमति या फिर प्रशासन की मदद से अधिग्रहण की प्रक्रिया अपनाते हुए परियोजनाओं को विकसित करने के लिए जमीन ले रहा है।
कॉलोनाइजर और माफिया इस क्षेत्र में जमीन बचाने के लिए हर तरीके के हथकंड़े अपना रहे हैं। जेवर बांगर, माडलपुर, नीमका चौरोली, गोपालगढ़, साबौता, डूढेरा, रामपुर बांगर, गोविंदगढ़, कलूपुरा, दयानतपुर, करौली बांगर, आकलपुर, म्याना, नगला शाहपुर, भोयरा, मुढरह, कानपुर, रन्हेरा, दस्तमपुर, थोरा,अलीअहमदपुर उर्फ गढ़ी, जहांगीरपुर आदि जगहों पर कॉलोनियां काटकर या फिर अवैध निर्माण कर भविष्य की परियोजनाओं की जमीनों पर अवैध निर्माण किया जा रहा है।
प्राधिकरण से लीजबैक और प्रशासन से विस्थापन के फायदे को हो रहा अवैध निर्माण
अवैध निर्माण करने वालों को निर्माण होने के बाद दोनों हाथों में लड्डू दिखाई दे रहे है। इससे बड़े स्तर पर यीडा क्षेत्र में निर्माण किया जा रहा है। निर्माण होने के बाद अगर प्राधिकरण सहमति के आधार पर किसान से जमीन मांगता है। आबादी दिखाकर लीजबैक का फायदा होगा।
अगर प्राधिकरण अधिग्रहण कराता है तो उस समय अवैध निर्माण करने वाले विस्थापन के फायदे का लाभ उठाने की मांग रखेंगे। जिसमें उन्हें विकसित क्षेत्र में निर्माण का 50 प्रतिशत प्लाट और निर्माण की लागत का दो गुना मुआवजा दिया जाता है। ऐसे में अवैध निर्माण तैयार करने वालों को दोनों तरफ फायदा का लालच है जिसके चलते बड़े स्तर पर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं।
एयरपोर्ट के तीसरे चरण में विस्थापन टाउनशिप के लिए चिन्हित जमीन पर हो रहा निर्माण
तीसरे चरण में जिन गांव का विस्थापन किया जाना है उन गांव के किसानों को मंगरौली, अलावलपुर, माडलपुर, नीमका व चौरोली गांव की लगभग 437 हेक्टेयर जमीन में टाउनशिप विकसित की जानी है, लेकिन इस जमीन पर दिनरात अवैध निर्माण तैयार किए जा रहे हैं। प्राधिकरण के लेखपाल से लेकर तहसीलदार और एसडीएम आए दिन जमीन के पास से होकर गुजरते हैं, लेकिन धारा 10 के नोटिस देकर इतिश्री कर दी जाती है।
अवैध निर्माण करने वालों पर लगातार कार्रवाई हो रही है। अभियान चलाकर कई जगहों पर निर्माण तोड़ा गया है। कॉलोनाइजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। धारा दस के तहत नोटिस दिए जा रहे हैं। अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
-शैलेंद्र सिंह, ओएसडी लैंड यीडा

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