निओ अस्पताल के अत्याचार से खून के आंसू रोये परिजन
जागरण संवाददाता, नोएडा : दौरे की बीमारी से पीड़ित 16 वर्षीय मरीज गौरव एक तरफ जिंदगी और मौत ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नोएडा :
दौरे की बीमारी से पीड़ित 16 वर्षीय मरीज गौरव एक तरफ जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे थे, दूसरी तरफ सेक्टर 50 स्थित निओ अस्पताल परिजनों से इलाज के नाम पर पैसे ऐंठने पर लगा था। यह आरोप मरीज के पिता वीरेंद्र ने लगाया है। उन्होंने कहा कि एक दिसंबर को जब से मैंने अपने बेटे को यहां भर्ती कराया है, तभी से अस्पताल प्रशासन उनके साथ अत्याचार कर रहा है। इससे वह खून के आंसू रो रहे हैं। आहत परिजन अब अदालत का दरवाजा खटखटाने का भी मन बना रहे हैं।
वीरेंद्र का आरोप है कि कई दिन बेटे गौरव को वेंटीलेटर पर लगातार रखे जाने व कई लाख रुपये इलाज में खर्च हो जाने के बाद भी जब तबियत में कोई सुधार होता नहीं दिखा तो उन्होंने अस्पताल से गुजारिश करते हुए कहा कि वह मरीज को सरकारी अस्पताल में शिफ्ट करना चाहते हैं। इस पर पहले तो अस्पताल ने कहा कि यह सब देखना आपका काम है, हमारा नहीं। फिर मरीज की मौत का भय दिखाते हुए कहा कि उसकी हालत बहुत नाजुक है। कहीं ले जाने का कोई फायदा नहीं है। किताब में जितनी दवा है हमने सारी देकर देख लिया है। अब एक इंजेक्शन है, जिसका खर्च आप वहन कर पाएं तो मरीज की जान बच सकती है। कीमत पूछने पर डॉक्टरों ने तीन लाख 57 हजार बताया। यह सुनकर वीरेंद्र के होश उड़ गए, लेकिन बेटे की जान बचाने के लिए उन्होंने किसी तरह रिश्तेदारों से उधार लेकर पैसों का इंतजाम किया। इससे पहले जब वह इंजेक्शन बाहर से लाने को कहने लगे तो अस्पताल ने इसकी इजाजत नहीं दी। बाद में अस्पताल ने और पैसे जमा कराने को कहा, जिसका इंतजाम करने जाने पर यह आरोप लगा दिया कि परिजन अपने मरीज को वेंटीलेटर पर छोड़कर भाग गए। वीरेंद्र ने कहा कि एक पिता के चरित्र पर समाज के सामने इस तरह से गलत मंशा से कलंकित करने का जो पाप अस्पताल ने किया है उसे कभी न तो भुलाया जा सकता है न ही माफ किया जा सकता है। इसे काफी आहत हुआ हूं। उन्होंने कहा कि अस्पताल ने कोई रियायत किए बगैर निर्दयी होकर 15 लाख तक की वसूली कर डाली। पांच लाख तक अभी बकाया भी बता रहे हैं। निओ अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव मोतियानी ने अपने मरीज को छोड़कर भाग जाने की सूचना सीएमओ व मीडिया को दी थी। अन्य आरोपों को मोतियानी ने गलत बताया।

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