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    कंपकंपाती ठंड में ठिठुरने को मजबूर नौनिहाल, दो माह बाद भी स्वेटर और जूते-मोजे का इंतजार

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Fri, 03 Dec 2021 05:13 PM (IST)

    जिले में दिसंबर शुरू के बाद भी 100 फीसद सत्यापन पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में सर्दियों से पहले सभी बच्चों के तन पर स्वेटर और पैरों में जूते-मोजे पहुंचना मुश्किल लग रहा है। नौनिहाल कंपकंपाती ठंड में ठिठुरते हुए ही स्कूल जाने को मजबूर हैं।

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    सेक्टर-12 प्राथमिक स्कूल में चपल-सैंडिल में पहुंचे बच्चे।

    नोएडा [अजय चौहान]। जिले में शीतलहर शुरू हो चुकी है। जहां बिना गर्म कपड़ों के घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। वहीं, परिषदीय विद्यालयों के बच्चे बिना स्वेटर और जूते-मोजों के स्कूल आने को मजबूर है। जिले में अभी तक 40 फीसद बच्चों के अभिभावकों के खातों में ही यूनिफार्म और बैग का पैसा पहुंच पाया है। शेष 60 फीसद बच्चों को दिसंबर शुरू होने के बाद भी राशि का इंतजार है। ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी स्वेटर और जूते-मोजों के नहीं होने से हो रही है।

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    परिषदीय विद्यालयों में इस सत्र से यूनिफार्म (पैंट, शर्ट, स्वेटर, जूते-मोजे और बैग) के पैसे सीधे खातों में भेजे जा रहे हैं। सितंबर तक भेजे जाने थे, लेकिन जिले में दिसंबर शुरू के बाद भी 100 फीसद सत्यापन पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में सर्दियों से पहले सभी बच्चों के तन पर स्वेटर और पैरों में जूते-मोजे पहुंचना मुश्किल लग रहा है। नौनिहाल कंपकंपाती ठंड में ठिठुरते हुए ही स्कूल जाने को मजबूर हैं।

    अभिभावकों को करना पड़ रहा है जागरूक

    नवादा कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक जोध सिंह भाटी ने बताया कि विद्यालय में 739 छात्र पंजीकृत हैं। इसमें से 396 छात्रों के अभिभावकों के खातों में पैसा पहुंचा है, इनके अभिभावकों को यूनिफार्म खरीदने के लिए प्रेरित करना पड़ रहा है।

    शिक्षकों के सामने चुनौती

    प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मेघराज भाटी ने बताया कि शिक्षकों की ड्यूटी बीच में बीएलओ के लिए लगा दी गई थी। इसके चलते भी डीबीटी का काम धीमा हुआ है। अब अभिभावकों से यूनिफार्म खरीदवाने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर ही आ गई है। शिक्षकों पर मानसिक दबाव बढ़ने से शिक्षण कार्य प्रभावित हो सकता है।

    स्कूलों में नहीं फर्नीचर की व्यवस्था

    जिले में कई परिषदीय विद्यालयों में बैठने के लिए फर्नीचर के व्यवस्था नहीं है। विद्यालय बच्चों को जमीन पर बैठाने के लिए मजबूर हैं। इससे बच्चों के ठंड में बीमार पड़ने का खतरा बढ़ रहा है। बच्चों को जमीन पर दरी-चादर बिछा कर बैठाना पड़ रहा है।

    जिले में करीब 40 फीसद बच्चों के अभिभावकों के खातों में यूनिफार्म की राशि आ चुकी है। शेष अभिभावकों का डेटा सत्यापन किया जा रहा है। उनके खातों में भी जल्द राशि पहुंच जाएगी।

    धर्मेंद्र सक्सेना, बीएसए