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    Yamuna Water Lavel: नोएडा में तेजी से घट रहा है यमुना का जलस्तर, अब बाढ़ पीड़ित लौट सकेंगे अपने घर

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 11:05 PM (IST)

    नोएडा में यमुना का जलस्तर तेजी से घट रहा है। ओखला बैराज से सामान्य से 34 हज़ार क्यूसेक अधिक पानी छोड़ा जा रहा है जो दो-तीन दिनों में सामान्य हो जाएगा। जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है और प्रभावित क्षेत्रों से पानी कम हो रहा है। बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री दी जा रही है और वे अपने घरों में सामान की तलाश कर रहे हैं।

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    नोएडा में यमुना का जलस्तर तेजी से घट रहा है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नोएडा। यमुना का जलस्तर तेजी से घटने लगा है। फार्म हाउस समेत डूब क्षेत्र से पानी यमुना की ओर लौटने लगा है। ओखला बैराज से यमुना में पानी का प्रवाह सामान्य से 34 हजार क्यूसेक अधिक है। इसे सामान्य होने में दो से तीन दिन लग सकते हैं।

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    इसके बाद यमुना अपनी मुख्य धारा में लौटने लगेगी। यमुना का जलस्तर अभी खतरे के निशान से 1.70 मीटर नीचे है। पिछले 24 घंटे में यमुना का जलस्तर 30 सेमी कम हुआ है।

    बता दें कि पिछले एक सप्ताह में यमुना के बढ़ते जलस्तर ने सभी को डरा दिया था। अब यह संकट कम होने लगा है। अब ओखला बैराज से यमुना में 84 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। यह सामान्य से 34 हजार क्यूसेक अधिक है।

    दो से तीन दिन में यहां से 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा सकता है। ऐसे में यमुना जल्द ही अपनी मुख्य धारा में लौट सकती है। पिछले 24 घंटों में यमुना का जलप्रवाह 26 हज़ार क्यूसेक कम हुआ है। यमुना और हरनंदी के बाढ़ क्षेत्र में सेक्टर-150, 151, 144, 145 से पानी अब यमुना की मुख्य धारा की ओर कम होने लगा है।

    यमुना किनारे स्थित फार्म हाउस समेत नर्सरियों में अभी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है। दो-तीन दिनों में इसके पूरी तरह से कम होने की उम्मीद है। ओखला बैराज से पानी का दैनिक डिस्चार्ज कम हो रहा है। बाढ़ से प्रभावित लोग पुश्ता पर टेंट और शिविरों में रह रहे हैं।

    समाजसेवी, संगठन और जिला प्रशासन द्वारा खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। हालाँकि, प्रशासन की टीमें अभी भी जलस्तर पर नज़र बनाए हुए हैं।

    नष्ट हुए घरों में सामान की तलाश

    बाढ़ क्षेत्र में बने फार्म हाउस और अस्थायी आश्रय स्थलों से अब बाढ़ का पानी हटने लगा है। अचानक पानी आने से सैकड़ों परिवार अपना सामान भी नहीं निकाल पा रहे थे।

    जलस्तर कम होने के बाद लोग फार्म हाउस और अस्थायी आश्रय स्थलों में जाकर सामान की तलाश कर रहे हैं। जब बाढ़ आई, तो लोग जो कुछ भी हाथ लगा, उसे लेकर जल्दी-जल्दी सुरक्षित स्थानों की ओर निकल पड़े।