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    World Hepatitis Day 2025: मानसून में जलजनित हेपेटाइटिस के मामलों में होती है बढ़ोतरी, समय रहते जांच से बचाव संभव

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 10:42 AM (IST)

    वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे पर नोएडा के डॉक्टरों ने हेपेटाइटिस के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। मानसून में जल और भोजन से फैलने वाले हेपेटाइटिस ए और ई के मामले बढ़ रहे हैं। हेपेटाइटिस बी और सी बिना लक्षण के लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। डॉक्टरों ने जलजनित रोगों से बचने और समय पर जांच कराने की सलाह दी है।

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    डॉक्टरों ने हेपेटाइटिस के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई।

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे के मौके पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के वरिष्ठ चिकित्सकों ने हेपेटाइटिस के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई है। मानसून में जल और भोजन से फैलने वाले हेपेटाइटिस ए और ई के केस अचानक बढ़ जाते हैं, जबकि बी और सी प्रकार लंबे समय तक शरीर में बिना लक्षण के रहकर लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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    मैश मानस अस्पताल के लैप्रोस्कोपिक जीआई व जनरल सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आदर्श कुमार चौहान के अनुसार नोएडा में हाल के वर्षों में हेपेटाइटिस ए और सी के मामलों में खासा इजाफा देखा गया है। यह संक्रमण अक्सर गंदे पानी और असुरक्षित भोजन से फैलता है।

    बी और सी प्रकार का हेपेटाइटिस खून और शरीर के तरल पदार्थों से फैलता है। ऐसे लोगों को समय-समय पर जांच करानी चाहिए जो डायलिसिस पर हैं या कई बार खून चढ़वा चुके हैं। फोर्टिस नोएडा के गैस्ट्रोएंटेरोलाजी विभाग के निदेशक डॉ. निशांत नागपाल ने बताया सबसे खतरनाक स्थिति तब होती है जब हेपेटाइटिस ए, बी या सी अचानक से ‘फुलमिनेंट’ हेपेटाइटिस में बदल जाए, जिसमें लिवर अचानक काम करना बंद कर देता है।

    सबसे अधिक हेपेटाइटिस सी देखा गया है, जो लिवर कैंसर और सिरोसिस का कारण बन सकता है। हालांकि 12 हफ्ते की दवा से यह अब काबू में आने लगा है। मानसून में जलजनित हेपेटाइटिस के केस तेजी से बढ़ते हैं। खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों से बचें।

    फोर्टिस ग्रेटर नोएडा में निदेशक आंतरिक चिकित्सा डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि मानसून में सबसे अधिक हेपेटाइटिस ए और ई के मरीज आते हैं। ग्रेटर नोएडा में हर साल कुल हेपेटाइटिस के मामलों में आठ से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जाती है, जबकि हेपेटाइटिस बी अकेले तीन से चार प्रतिशत मामलों में होता है। हेपेटाइटिस बी और सी कई बार बिना किसी लक्षण के शरीर में मौजूद रहते हैं। समय रहते इनकी पहचान हो जाए तो लिवर को बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है।