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कौन हैं सम्राट मिहिर भोज? आखिर क्या है वेस्ट यूपी के एक समुदाय की नाराजगी की वजह

Smart Mihir Bhoj Dispute प्रतिमा से गुर्जर हटाने के विरोध में समुदाय के लोगों ने इंटरनेट मीडिया पर नाराजगी जताई। प्रतिमा के पास खड़े होकर स्थानीय विधायक के खिलाफ नारेबाजी का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होता रहा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 03:25 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 03:59 PM (IST)
सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण। अभिनव

नोएडा [आशीष धामा]। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया। मुख्यमंत्री के जाने के बाद गुर्जर समुदाय के लोग प्रतिमा के पास दर्शन के लिए पहुंचे। प्रतिमा के शिलापट से सम्राट मिहिर भोज के आगे गुर्जर नहीं लिखा होने पर हंगामा शुरू कर दिया। दादरी विधायक तेजपाल नागर व अन्य भाजपा गुर्जर नेताओं के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

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समाज के लोग इस बात से नाराज थे कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के लोकार्पण में लगाई गई शिलापट में गुर्जर शब्द को हटा दिया गया है। आरोप है कि शिलापट पर लिखे गुर्जर शब्द को आराजकतत्वों ने काले रंग से पोत दिया था। सुबह आठ बजे अधिकारियों की नजर इस शिलापट पर पड़ी, तो हड़कंप मच गया। इसके बाद एक भाजपा नेता सतेंद्र अवाना ने स्टीकर लाकर प्रतिमा के शिलापट पर फिर से गुर्जर लिखवाया।

मिहिर भोज डिग्री कालेज के प्रिंसिपल राजेंद्र पंवार के अनुसार मंगलवार रात अज्ञात युवक ने ऐसा किया। वह कौन था ? यह पता नहीं चल सका है। कार्यक्रम आयोजकों ने प्रतिमा के शिलापट और निमंत्रण पत्रों पर सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर के रूप में दर्शाया था।

शिलापट से नाम हटाने के चलते नाराज गुर्जर समुदाय के युवा करीब आधे घंटे तक प्रतिमा के पास जमा रहे और दादरी विधायक तेजपाल नागर व अन्य गुर्जर नेताओं के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। समाज के लोगों के गुस्से को देख कार्यक्रम आयोजक वहां से खिसक लिए। बाद में पुलिस ने मोर्चा संभाल लोगों को समझा-बुझाकर वापस किया। हंगामे के मद्देनजर मिहिर भोज की प्रतिमा स्थल पर पुलिस को ताला लगाना पड़ा। प्रतिमा की सुरक्षा में प्रशासन ने पुलिस, पीएसी के अलावा आरआरएफ के जवानों को भी तैनात किया है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस की पैनी नजर रही।

इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

प्रतिमा से गुर्जर हटाने के विरोध में समुदाय के लोगों ने इंटरनेट मीडिया पर नाराजगी जताई। प्रतिमा के पास खड़े होकर स्थानीय विधायक के खिलाफ नारेबाजी का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होता रहा। अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय संस्थापक नरेंद्र गुर्जर ने कहा कि जब पहले से शिलापट में गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज लिखा था, तो फिर गुर्जर शब्द को क्यों हटाया गया? यह हमारे समाज के आदरणीय गुर्जर सम्राट मिहिर भोज का अपमान है। स्थानीय विशाल भाटी ने कहा कि उद्घाटन समारोह से पूर्व साजिशन गुर्जर शब्द को हटाया गया है। यह गुर्जर समुदाय का अपमान है, क्योंकि पूरा कार्यक्रम गुर्जरों के नाम पर आयोजित हुआ है।

एसीपी, दादरी नितिन कुमार सिंह ने कहा कि कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के जाने के बाद प्रतिमा के पास खड़े होकर हंगामा किया था। उन्हें समझा बुझाकर वापस किया गया। हुड़दंग करने वालों से सख्ती से निपटा गया है।

प्रतिमा के शिलापट को चादर से ढका

प्रतिमा से शिलापट हटाने के बाद हुए विवाद के चलते स्थानीय नेताओं द्वारा शिलापट को चादर से ढका गया है। उसको देखने और पढ़ने की अभी किसी को इजाजत नहीं है। प्रतिमा के अनावरण से पूर्व ही यह विवाद सम्राट मिहिर भोज के साथ गुर्जर शब्द नहीं जोड़ने पर रहा है।

गुर्जर शब्द हटाना समाज का अपमान

अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के जिलाध्यक्ष श्याम सिंह भाटी ने गुर्जर शब्द हटाने का विरोध करते हुए दादरी विधायक तेजपाल नागर एवं राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह गुर्जर समाज का अपमान है। सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे से गुर्जर शब्द हटाना भाजपा की पिछड़ों के प्रति हीन भावना को दर्शाता है।

दादरी विधायक के घर पहुंचे नाराज लोग

कार्यक्रम के बाद नाराज लोग विधायक के घर पहुंचे और नारेबाजी की। आरोप है कि शिलापट पर गुर्जर शब्द उकेरा ही नहीं गया है। विरोध को रोकने के लिए एक प्लास्टिक शीट पर लिखकर चिपकाया गया था। इसे चिपकाने का वीडियो भी वायरल हुआ है।

कौन थे सम्राट मिहिर भोज

सम्राट मिहिर भोज को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। मिहिर भोज को प्रतिहार वंश का सबसे शक्तिशाली राजा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मिहिर भोज के शासन का समय 836 से 885 तक रहा, जिन्होंने यूपी के कन्नौज पर राज किया। कुछ इतिहासकारों का मत है कि प्रतिहार वंशज खुद को अयोध्या के राजा राम और लक्ष्मण का वंशज मानते हैं जबकि कुछ इतिहास इन्हें गुर्जर समुदाय का मानते हैं। इसी वजह से राजपूत और गुर्जर समुदाय के लोग अपने-अपने दावे करते रहे हैं।


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