Noida: ई-बैंकिंग को आसान बनाएगा वर्चुअल बैंक, ईजीओफाई सोल्यूशंस ने ब्राउजर आधारित बैंकिंग मेटावर्स किया विकसित
वर्तमान में बैंकिंग की वेबसाइट से बैंक संबंधित काम करना हर किसी के लिए आसान नहीं है। वेबसाइट पर विकल्प ढूंढ़ने में भी दिक्कत आती है। वरिष्ठ नागरिक ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी आबादी के साथ कई अन्य लोगों को भी प्रयोग करने में कई बार परेशानी होती है।

नोएडा, अजय चौहान। वर्तमान में बैंकिंग की वेबसाइट से बैंक संबंधित काम करना हर किसी के लिए आसान नहीं है। वेबसाइट पर विकल्प ढूंढ़ने में भी दिक्कत आती है। वरिष्ठ नागरिक, ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी आबादी के साथ कई अन्य लोगों को भी प्रयोग करने में कई बार परेशानी होती है। भाषा की भी बाधा रहती है। तकनीक से इसको आसान बनाने के लिए वेब आधारित आगमेंटेड व वर्चुअल (एआर/वीआर) प्लेटफार्म बनाने वाले स्टार्टअप ईजीओफाई सोल्यूशंस ने ब्राउजर आधारित बैंकिंग मेटावर्स विकसित किया है।
कंपनी की सह-संस्थापक नूर फातिमा ने बताया कि यह एक प्रकार का वर्चुअल बैंक हैं। इसमें बैंककर्मी का होलोग्राम (वर्चुअल स्वरूप) आपसे वार्तालाप करता है। वेबसाइट जैसे जटिलता नहीं रहती है। होलोग्राम सजीव तरीके से आपका काम करता रहेगा। इसमें भाषा की भी बाधा नहीं है। यह 14 भारतीय भाषाओं में काम करता है। इसके लिए कंपनी ने रेवेरी लैंग्वेज टेक्नोलाजीज कंपनी की मदद से साफ्टवेयर तैयार किया है।
मेटावर्स में प्रवेश करते ही होलोग्राम आपसे भाषा के बारे में पूछता है। आप जिस भाषा में बात करेंगे। उसी भाषा में संवाद करेगा। इससे ई-बैंकिंग का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा लोग कर सकेंगे। बैंक के वेबसाइट या एप पर जाकर अपने फोन, टैबलेट, डेस्क टाप या वीआर हेडसेट पर इसका प्रयोग कर सकते हैं। कंपनी वर्तमान में इंडियन ओवरसीज बैंक के साथ इसको लेकर काम कर रही है।
जानें कैसे करेगा काम
अगर आपको लोन के लिए आवेदन करना है तो आप से अचल संपत्ति का नाम पूछेगा। जहां संपत्ति स्थिति है। उस शहर का नाम पूछेगा। आपका पैन नंबर पूछेगा। आकलन करने के बाद बताएगा कि आप कितने तक के लोन के लिए योग्य हैं। उसके बाद वहीं से आवेदन की प्रक्रिया शुरू करने के बारे में पूछेगा। अगर हां कहते हैं तो आपके संबंधित प्रमाण पत्र जमा करने के लिए एक क्लाउड बैकेट का लिंक भेजेगा। इसके लिए आपको मोबाइल नंबर बताना होगा। आपका आवेदन भी हो जाएगा।
- वाइस बायोमेट्रिक से होगा अनलाक
कंपनी की सह-संस्थापक शीतल तारकस ने बताया कि ई-बैंकिंग में सुरक्षा सबसे अहम है। इसमें इसका विशेष ध्यान रखा गया है। यह वाइस बायोमेट्रिक से अनलाक होगा। किजेन कंपनी की मदद से इसके लिए साफ्टवेयर तैयार किया है। आपके खाते के लिए एक बार आपकी आवाज रिकार्ड हो जाएगी। उसके बाद आपकी आवाज पर ही यह काम करेगा। इसके बाद पूछताछ की भी आवश्यकता नहीं होगी। यह समय भी बचाएगा। बैंक में जाने की आवश्यकता कम होगी।
हैकाथन में पड़ी नींव
रिजर्व बैंक की संस्था इंस्टीट्यूट फार डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलाजी (आइडीआरबीटी) द्वारा 2019 में 5जी इंटरनेट के उपयोग को लेकर हैकाथन का आयोजन किया गया था। कंपनी की सह-संस्थापक नूर फातिमा ने बताया कि इसमें ईजीओफाई विजेता बना था। आइडीआरबीटी इसके निर्माण के लिए उनको प्रोत्साहित किया। शुरूआती आर्थिक मदद भी दी। वह 2018 से इस पर काम कर रहे हैं। इंडियन चैंबर आफ कामर्स ने अक्टूबर 2022 के लिए स्टार्टअप आफ द मंथ और भारत सरकार के दूरसंचार विभाग से अप्रैल 2019 के लिए एप आफ द मंथ चुना गया है।
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