नोएडा-दिल्ली आने-जाने वालों के लिए गुड न्यूज, टोल वसूलने वाली कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से झटका
सुप्रीम कोर्ट ने डीएनडी फ्लाईवे पर टोल वसूली के खिलाफ नोएडा टोल ब्रिज कंपनी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। 20 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही टोल फ्री रखने के हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था। इस फैसले से नोएडा-दिल्ली के बीच यात्रा करने वाले हजारों वाहन चालकों को राहत मिलेगी क्योंकि अब डीएनडी पर टोल नहीं लगेगा।
जागरण संवाददाता, नोएडा। दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाइवे का निर्माण करने वाली कंपनी नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (एनटीबीसीएल) की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।
20 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने डीएनडी टोल फ्री रहने के हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था। एनटीबीसीएल ने सप्रीम कोर्ट में फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
कंपनी को कोर्ट से नहीं मिली राहत
बता दें डीएनडी टोल फ्री रहेगा। नोएडा-दिल्ली आवागमन करने वाले हजारों वाहन चालकों के लिए यह राहत भरा है। टोल कंपनी को हाई कोर्ट के झटके के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल सकी है।
पूर्व मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता नवाब सिंह नागर ने भी इसमें संघर्ष किया इसके लिए उन्होंने अपने साथियों, जनहित मोर्चा व संबंधित संगठनों का सहयोग के लिए धन्यवाद प्रेषित किया।
आठ रुपये से शुरू होकर 28 रुपये तक हुआ टोल टैक्स
डीएनडी पर वसूले जा रहे टोल को लेकर फेडरेशन आफ नोएडा रेजिडेंटस वेलफेयर एसोसिएशन (फोनरवा) की ओर से वर्ष 2012 में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। यहां एक ओर से गुजरने वाले वाहनों से टोल टैक्स आठ रुपये से शुरू होकर 28 रुपये तक वसूला जाने लगा।
लोगों ने प्राधिकरण समेत जिला प्रशासन से शिकायत की लेकिन चंद रुपये कम कर सिर्फ राहत दी गई। आखिर में शहर की संस्था फोनरवा ने वर्ष 2012 में हाइ कोर्ट में डीएनडी टोल को लेकर हुए एग्रीमेंट को रद्द करने के लिए याचिका दाखिल की।
पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
हाई कोर्ट ने वर्ष 2016 में फैसला सुनाते हुए एग्रीमेंट तो रद्द नहीं किया, लेकिन टोल वसूली पर रोक लगा दी। टोल कंपनी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची। दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। अब टोल कंपनी की पुनर्विचार याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी है।
टोल कंपनी और तत्कालीन प्राधिकरण अधिकारियों के गठजोड़ के कारण इसमें घोटाला हुआ था। निर्माण पर करीब 193 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। कंपनी ने टोल के जरिए साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक वसूल लिए थे। कंपनी हर वर्ष टोल शुल्क बढ़ाकर वाहन मालिकों को चूना लगा रही थी। इसका हमने विरोध किया। न्यायपालिका से लोगों को न्याय मिला है।
नवाब सिंह नागर, पूर्व मंत्री
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