यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में दिखा गोरखपुर की दीपिका का कमाल, टेराकोटा गहनों से फैशन को दी नई पहचान
गोरखपुर की दीपिका सिंह टेराकोटा के गहने बनाकर फैशन को नई दिशा दे रही हैं। अतरंगी कलाकारी स्टार्टअप के जरिए उन्होंने 25 महिलाओं को रोजगार दिया है। टेराकोटा गोरखपुर का एक जिला एक उत्पाद है जिसके गहने हल्के और सुविधाजनक होते हैं। दक्षिण भारत समेत कई राज्यों से इन्हे ऑर्डर मिल रहे हैं और ये युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं।

अरविंद मिश्रा, ग्रेटर नोएडा। सौंदर्य के लिए गहनों का प्रयोग सदियों से होता रहा है। सोना, चांदी जैसी कीमती धातु के गहने धीरे-धीरे लोगों की पहुंच से बाहर हो रहे हैं, लेकिन नई सोच के साथ हरदम नया अपनाने को उतावली रहने वाली युवा पीढ़ी गहनों में भी नया प्रयोग करने में उतनी ही उत्साहित है।
गोरखपुर की दीपिका सिंह ने टेराकोटा के गहने तैयार कर फैशन को नई दिशा दी है। फाइन आर्ट की छात्रा रहीं दीपिका ने टेराकाेटा से गहने तैयार करने का चार साल पहले अतरंगी कलाकारी नाम से स्टार्ट अप शुरू किया था, धीरे-धीरे आर्डर मिलने के साथ उनका हौंसला बढ़ता गया। आज दीपिका की यह कला क्षेत्र की 25 महिलाओं के लिए अजीविका का साधन बना है। फाइन आर्ट के छात्र-छात्रा भी प्रशिक्षण के लिए उनसे जुड़े हैं।
99 रुपये से लेकर आठ हजार तक कीमत
दीपिका का कहना है कि टेराकेटा गोरखपुर का एक डिस्ट्रिक्ट एक प्रोडक्ट उत्पाद है। टेराकोटा के गहनोंं में भी धातु की तरह वैरायटी मौजूद है। वजन में हल्का होने के कारण इसे धारण करना आसान व सुविधाजनक है। स्टोन, मोती के संयोजन से गहनों कर रंग अलग की निखर कर आता है।
दीपका कहती है कि गहने बनाने के लिए मिट्टी को बारीक फिल्टर करना पड़ता है। इससे गहनों का आकार देना आसान और वजन हल्का हो जाता है। आकर देने के बाद आग में तपा कर गहनों को मजबूती मिलती है। रंगों के साथ सौंदर्य निखर जाता है।
दीपिका सिंह का कहना है कि दक्षिण भारत समेत देश के विभिन्न राज्यों से गहनों के लिए आर्डर मिल रहे हैं। 99 रुपये से लेकर आठ हजार रुपये तक कीमत के गहने खासकर युवाओं की पसंद हैं। एहतियात के साथ इस्तेमाल करने पर इन्हें छह से सात साल तक उपयोग किया जा सकता है।
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