Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    नोएडा में सरकारी इंटर कॉलेजों में शिक्षक-छात्र अनुपात बना मजाक, एक सेक्शन में 100 से ज्यादा स्टूडेंट

    By Ajay ChauhanEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Sun, 21 May 2023 10:46 AM (IST)

    शिक्षकों के पद पहले से ही तय है। उसमें भी कुछ पद रिक्त भी चल रहे हैं। शहर में राजकीय इंटर कालेज सेक्टर-12 व राजकीय बालिका इंटर कालेज सेक्टर-51 दो सरकारी स्कूल हैं जहां पर 12वीं तक पढ़ाई होती है। बाकी अर्द्धसरकारी व निजी स्कूल हैं।

    Hero Image
    नोएडा में सरकारी इंटर कॉलेजों में शिक्षक-छात्र अनुपात बना मजाक

    नोएडा [अजय चौहान]। नोएडा के सरकारी इंटर कालेजों में प्रवेश के लिए मारामारी है। स्थिति यह हो गई है कि विधायक, सांसद, मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए सिफारिश लगा रहे हैं। स्कूल प्रबंधन को मजबूरी में प्रवेश देने भी पड़ रहे हैं। एक-एक सेक्शन में छात्र संख्या 100 से ज्यादा पहुंच गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्कूलों में अब बैठने की भी जगह नहीं बची है। स्कूलों को सेक्शन घटाने पड़ रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि जब क्षमता से दो से तीन गुना छात्र कक्षा में होंगे तो गुणवत्ता पूर्ण पढ़ाई की उम्मीद कैसे की जाएगी। शिक्षकों के पद पहले से ही तय है। उसमें भी कुछ पद रिक्त भी चल रहे हैं।

    शहर में राजकीय इंटर कालेज सेक्टर-12 व राजकीय बालिका इंटर कालेज सेक्टर-51 दो सरकारी स्कूल हैं, जहां पर 12वीं तक पढ़ाई होती है। बाकी अर्द्धसरकारी व निजी स्कूल हैं। सेक्टरों से लगे मामूरा, सर्फाबाद, चौड़ा, होशियारपुर, सदरपुर, छलेरा, गेझा, मोरना, अट्टा, नयाबांस, बिशनपुरा, बहलोलपुर, सोहरखा, झुंडपुर आदि गांवों में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक रहते हैं। वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना चाहते हैं।

    आठवीं तक की पढ़ाई के लिए इसी क्षेत्र में करीब 20 परिषदीय स्कूल हैं। ऐसे में कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन नौवीं के बाद दिक्कत आ जाती है। इनमें से ज्यादातर अभिभावक निजी स्कूलों में पढ़ाने में समर्थ भी नहीं है। इसके चलते दोनों इंटर कालेजों में नौंवीं से 12वीं तक चार से छह सेक्शन चलाने पड़ रहे हैं।

    सेक्टर-12 में 10वीं व 12वीं में चार-चार सेक्शन हैं, लेकिन जगह और शिक्षकों की कमी के चलते 11वीं और नौवीं में इस बार तीन-तीन ही सेक्शन रखे गए हैं। सेक्टर-51 में 10वीं से उत्तीर्ण होकर 394 छात्र आए हैं। कुछ छात्र 11वीं में फेल भी हुए हैं। ऐसे में नए प्रवेश पूरी तरह बंद करने पड़े।

    सरकारी काम में भी उलझे रहते हैं शिक्षक

    छात्रों का दबाव अधिक होने के चलते शिक्षकों को पढ़ाने के साथ सरकारी रिकार्ड को दुरूस्त करने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है। छात्रों के अंक पोर्टल पर अपडेट करने पड़ते हैं। दूसरा डाटा भी भेजना होता है और वर्षभर सरकारी कार्यों में भी शिक्षक उलझे रहते हैं। ऐसे में शिक्षकों से भी गुणवत्ता की उम्मीद रखना बेईमानी ही है।

    एक कक्षा में 40 बच्चों की आदर्श स्थिति से कोसों दूर

    जीआइसी में 18 व जीजीआइसी में 24 शिक्षक हैं। 40 छात्रों पर एक शिक्षक के आदर्श फार्मूले के अनुसार जीआइसी में 720 व जीजीआइसी में 960 बच्चे होने चाहिए। जबकि वर्तमान में जीजीआइसी में करीब 22 और जीआइसी में करीब 16 सौ छात्र पंजीकृत हैं, जबकि 11वीं में प्रवेश भी चल रहे हैं।

    बच्चों की संख्या को देखते हुए स्कूलों ने संविधा शिक्षक रखने पड़ रहे हैं। जीजीआइसी में 16 संविदा शिक्षक हैं। फिर भी आदर्श स्थिति से बहुत दूर है। दो से तीन गुना तक छात्र एक कक्षा में हैं। अगर सभी छात्र एक दिन स्कूल आ जाए तो बैठने की जगह भी नहीं हो पाती है।

    डीआइओएस डॉ. धर्मवीर सिंह ने बताया कि दोनों विद्यालयों में छात्र संख्या अधिक है, लेकिन सरकारी विभाग होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि किसी भी छात्र पढ़ाई न छूटे। ऐसे में क्षमता से अधिक प्रवेश लेते हैं। दोनों विद्यालयों में संसाधन बढ़ाने पर भी काम हो रहा है।