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    आशियाने का इंतजार कर रहे लाखों लोगों को मिल सकती है बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया ये निर्देश

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 11:33 AM (IST)

    नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 60 हजार फ्लैट खरीदार आशियाने का इंतजार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संकटग्रस्त परियोजनाओं के लिए फंड बनाने और रेरा के अधिकार बढ़ाने के लिए कहा है जिससे निवेशकों में उम्मीद जगी है। नेफोवा ने राहत की उम्मीद जताई है और सरकार से योजना बनाने का आग्रह किया है ताकि सही घर खरीदारों को लाभ मिल सके।

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    सांकेतिक तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है। फोटो सौजन्य- जागरण ग्राफिक्स

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। नोएडा, ग्रेटर नोएडा में करीब 140 परियोजनाओं के 60 हजार फ्लैट खरीदारों को आज भी आशियाने मिलने और मालिकाना हक का इंतजार है। इन निवेशकों को सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को दिए गए निर्देश से बड़ी उम्मीद जगी है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने संकटग्रस्त परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त वित्तीय मदद देने के लिए रिवाइवल फंड (पुनरुद्धार कोष) स्थापित करने को कहा है। साथ ही बिल्डर और खरीदार के बीच विवाद को सुलझाने के लिए बने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के अधिकारों को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को एसओपी तैयार करने के लिए छह महीने का समय दिया है।

    खरीदारों को राहत मिलने की उम्मीद

    इस आदेश के बाद खरीदारों की आवाज उठा रहे संगठन नेफोवा ने खरीदारों को राहत मिलने की उम्मीद जताई है। यह भी उम्मीद की है कि जो मामले में कोर्ट में पेंडिंग हैं उन पर भी जल्द कार्रवाई पूरी होगी। मुनाफाखोरों और जरूरतमंद घर खरीदारों की पहचान किस तरह की जाएगी, इस पर गहनता से केंद्र और राज्य सरकार को योजना तैयार करने का सुझाव दिया है।

    नोएडा ग्रेटर नोएडा में 140 परियोजनाओं के 60 हजार खरीदारों की रजिस्ट्री होनी है। वहीं करीब एक लाख लोगों को आशियाना का इंतजार है। खरीदारों को राहत देने और उन्हें समय पर घर दिलाने के लिए रेरा की स्थापना की गई।

    रेरा गठित होने के बाद कई लोगों को समय पर घर नहीं मिलने पर बिल्डर से हर्जाना भी मिला, लेकिन आज भी काफी संख्या में निवेशक अपने हक का इंतजार कर रहे हैं। नेफोवा के अभिषेक कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के राहत की उम्मीद तो जगी है, लेकिन यह भी देखना होगा कि इस आदेश के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार क्या कार्ययोजना तैयार करती है।

    समय पर फ्लैट न देने पर बिल्डर पर लगता है जुर्माना

    रेरा के गठन के बाद निवेशकों में उम्मीद जगी थी कि उन्हें समय रहते फ्लैट आदि मिल जाएंगे। बिल्डर को परियोजना तैयार करने और धरातल पर लाने की पूरी जानकारी रेरा को देनी होती है। समय पर फ्लैट न देने पर बिल्डर पर जुर्माना लगाया जाता है, जो निवेशक को दिया जाता है।

    रेरा रजिस्टर्ड परियोजनाओं पर लोगों का भरोसा बढ़ गया, निवेश करने लगे, लेकिन उसे बाद भी समस्या हल नहीं हुई। आज भी कई निवेशक हैं को रेरा में अपनी शिकायत हल होने का इंतजार कर रहे हैं। करीब दो वर्ष पहले अमिताभ कांत समिति की रिपोर्ट आई थी।

    उसमें बिल्डर को बकाया राशि का 25 प्रतिशत जमा करना था, जिसके बाद रजिस्ट्री शुरू हो सके। उस रिपोर्ट के बाद ग्रेटर नोएडा में करीब 90 में से 22 बिल्डरों ने 25 प्रतिशत राशि जमा नहीं की। इन 22 बिल्डरों में से पांच सुप्रीम कोर्ट में चले गए।

    अब इन 22 बिल्डरों की परियोजना में निवेश करने वाले खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। नोएडा प्राधिकरण में 57 बिल्डरोें में से 23 ने ही 25 प्रतिशत बकाया राशि का जमा किया था।

    बाकी के बिल्डर परियोजना के निवेशक आज भी अधर में हैं। ऐसे में नए आदेश के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार किस तरह से तैयारी करती है और कैसे निवेशकों को उनके फ्लैट और घर दिलाने में मदद करती है, यह देखना अहम होगा।