सच के साथी सीनियर्स: विश्वास न्यूज ने नोएडा में दी फैक्ट चेकिंग की ट्रेनिंग
जिस प्रकार से शरीर के लिए पौष्टिक खानपान महत्वपूर्ण है ठीक उसी तरह से मन और दिमाग के लिए सही सूचनाओं का होना जरूरी है। फेक और भ्रामक सूचनाओं से हमारे मन और मस्तिक पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह कहना है कि फैक्ट चेकर पल्लवी मिश्रा का। उन्होंने यह बात नोएडा में हुए एक सेमिनार में प्रतिभागियों से कही।
जेएनएन, नोएडा। जिस प्रकार से शरीर के लिए पौष्टिक खानपान महत्वपूर्ण है, ठीक उसी तरह से मन और दिमाग के लिए सही सूचनाओं का होना जरूरी है। फेक और भ्रामक सूचनाओं से हमारे मन और मस्तिक पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह कहना है कि फैक्ट चेकर पल्लवी मिश्रा का। उन्होंने यह बात नोएडा में हुए एक सेमिनार में प्रतिभागियों से कही। यह कार्यक्रम सेक्टर 39 के आरडब्ल्यूए में आयोजित किया गया था।
जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज ने मीडिया साक्षरता अभियान 'सच के साथी-सीनियर्स' के तहत रविवार को नोएडा के नागरिकों के लिए एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया। मुख्य रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयोजित इस ऑनलाइन कार्यशाला की शुरुआत करते हुए फैक्ट चेकर पल्लवी मिश्रा ने सच, झूठ और राय को उदाहरणों के माध्यम से समझाया।
उन्होंने कहा कि जिसे तथ्यों के आधार पर साबित किया जा सके, वह सच होता है और किसी भी मामले पर सबकी राय अलग-अलग होती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ सूचनाएं जरूरी हैं।
कार्यक्रम के दौरान फैक्ट चेकर प्रज्ञा शुक्ला ने कहा कि आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस (एआई) से जहां उत्पादकता में वृद्धि होती है और काम आसान होता है, वहीं एआई टूल्स की मदद से बने डीपफेक वीडियो या तस्वीरें समाज को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इनकी पहचान कर इन्हें रोकने से समाज को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
प्रज्ञा ने एआई के फायदे बताने के साथ ही लोगों को डीपफेक के खतरों के बारे में आगाह किया। उन्होंने रश्मिका मंदाना, सचिन तेंदुलकर और पेंटागन पर फेक हमले की डीपफेक वीडियो और तस्वीर का उदाहरण देते हुए इससे हुए नुकसान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डीपफेक वीडियो या तस्वीरों में कुछ न कुछ कमियां होती हैं। बारीकी से देखने पर इनके बारे में पता चल जाता है। इनके बारे में कुछ टूल्स के जरिए भी पता चल जाता है।
पल्लवी ने फैक्ट चेकिंग टूल्स की मदद से संदिग्ध सूचनाओं या तस्वीरों की जांच करने का तरीका भी बताया। उन्होंने कहा कि गूगल रिवर्स इमेज या की-वर्ड सर्च से किसी पोस्ट के सोर्स का पता लगाया जा सकता है। सोर्स से संदिग्ध पोस्ट का सच सामने आ जाएगा।
कार्यक्रम के अंत में पल्लवी और प्रज्ञा ने डिजिटल सेफ्टी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अपने अकाउंट्स का पासवर्ड जटिल रखना चाहिए। इसके लिए किसी प्रसिद्ध कोट या गाने का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। उन्होंने लोगों को मतदान के प्रति भी जागरूक किया।
31 जनवरी को भी सेमिनार
28 जनवरी के अलावा 31 जनवरी को भी नोएडा में एक सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। सेक्टर 62 स्थित आईएमएस कैंपस में होने वाले इस कार्यक्रम का समय 11:30 बजे रहेगा।
इन राज्यों के नागरिकों को दिया जा चुका है प्रशिक्षण
इससे पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार के नागरिकों को सेमिनार और वेबिनार के जरिए फैक्ट चेकिंग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। गूगल न्यूज इनिशिएटिव (जीएनआई) के सहयोग से संचालित हो रहे इस कार्यक्रम का अकादमिक भागीदार माइका (मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद) है।
अभियान के बारे में
'सच के साथी सीनियर्स' भारत में तेजी से बढ़ रही फेक और भ्रामक सूचनाओं के मुद्दे को उठाने वाला मीडिया साक्षरता अभियान है। कार्यक्रम का उद्देश्य 15 राज्यों के 50 शहरों में सेमिनार और वेबिनार की श्रृंखला के माध्यम से स्रोतों का विश्लेषण करने, विश्वसनीय और अविश्वसनीय जानकारी के बीच अंतर करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को तार्किक निर्णय लेने में मदद करना है। इसमें रजिस्ट्रेशन करने के लिए www.vishvasnews.com/sach-ke-sathi-seniors/ पर क्लिक करें।
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