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    RTE Admission: सीट आवंटित होते ही आंखें तरेरने लगे निजी स्कूल, बेबस दिख रहा बेसिक शिक्षा विभाग

    Updated: Tue, 12 Mar 2024 08:35 AM (IST)

    आरटीई के तहत दाखिला नहीं लेने वाले स्कूलों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण स्कूलों के हौंसले बुलंद होते हैं। अभिभावक स्कूल के चक्कर लगाते रह जात ...और पढ़ें

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    RTE Admission: सीट आवंटित होते ही आंखें तरेरने लगे निजी स्कूल, बेबस दिख रहा बेसिक शिक्षा विभाग

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। निजी स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम को एक बार फिर ठेंगा दिखाना शुरू कर दिया है। आरटीई के तहत आवंटित सीटों पर छात्रों को दाखिला देने से बचने के लिए बहानेबाजी होेने लगी है।

    अपमान का घूंट पी रहे अभिभावक

    शिक्षा विभाग से सीट आवंटन पत्र लेकर अभिभावक स्कूल के गेट पर पहुंचते हैं तो गार्ड उन्हें अंदर की प्रवेश करने से रोक देता है, अगर अभिभावक अंदर पहुंच भी गए तो कोई न कोई बहाना बनाकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। पिछले साल की तरह आरटीई में दाखिले को लेकर एक बार फिर अभिभावकों को अपमान का घूंट पीने की शुरुआत हो चुकी है।

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    सूरजपुर स्थित बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय में सोमवार को अभिभावक स्कूलों की शिकायत लेकर पहुंचे। अभिभावकों ने बताया कि वह पिछले तीन चार दिन से स्कूल के चक्कर काट रहे है, लेकिन स्कूल वाले बहाने बना कर भागा देते हैं।

    बहानेबाजी कर रहे निजी स्कूल

    अभिभावक पंकज ने बताया कि उनकी बेटी का पहले चरण में नोएडा के द मिलेनियम स्कूल में नाम आया है, लेकिन स्कूल वालों ने कहा है कि उनकी बेटी का आरटीई के तहत दाखिला पाने के लिए योग्य नहीं है। अभिभावक का कहना है कि यदि बेटी आरटीई के तहत योग्य न होती तो उसका आवेदन रद्द कर दिया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।

    वहीं दूसरे अभिभावक बलराज सिंह ने बताया कि उनके बेटे का नाम हेरिटेज पब्लिक स्कूल नोएडा में दाखिले के लिए आया है। स्कूल जाने पर बताया जा रहा है कि बेटा की उम्र चार साल से कम है। इसलिए वह आरटीई के तहत दाखिले के योग्य नहीं है। जबकि तीन साल के छात्र का दाखिला प्री नर्सरी में हो सकता है।

    पहले चरण में चयनित हुए छात्रों को सीट आवंटन होने के बावजूद दाखिला कराने के लिए स्कूलों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। निजी स्कूलों की मनमानी पहले चरण से ही चालू हो गई है। जबकि तीन चरण की प्रकिया अभी शेष है।

    यह हालात तब है जब आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को निजी स्कूलों में आरटीई के तहत शिक्षा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से इस योजना की निगरानी की जा रही है। बेसिक शिक्षा विभाग स्कूलों के सामने पहले ही चरण में बेबस दिखाई दे रहा है।

    पहले चरण में 2563 छात्रों को हुई सीट आवंटित

    पहले चरण के तहत चारों ब्लाक में आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 2563 सीट आवंटित हुई है। दूसरे चरण की प्रकिया चल रही है,लेकिन पहले चरण में चयनित छात्रों को ही दाखिला मिलना शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है। इस बार 50 प्रतिशत से अधिक छात्रों को दाखिला मिलना कठिन लग रहा है।

    स्कूल पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

    आरटीई के तहत दाखिला नहीं लेने वाले स्कूलों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण स्कूलों के हौंसले बुलंद होते हैं। अभिभावक स्कूल के चक्कर लगाते रह जाते हैं, लेकिन शिक्षा विभाग उन्हें आश्वासन देने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं कर पाता।

    पिछले साल भी आरटीई के तहत दाखिले के लिए अभिभावकों को नाकों चने चबाने पड़े थे। आवंटित सीट पर दाखिला देने में आनाकानी करने वाले स्कूलों के खिलाफ नोटिस दिए गए थे। मान्यता रद करने की चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।