Noida News: गाड़ियों की चोरी रोकने के लिए बना अनोखा डिवाइस, चोरों के मंसूबों पर फिरेगा पानी
नोएडा के राजकीय महाविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग के वैज्ञानिक डॉ. शिशुपाल सिंह ने एक ऐसा खास डिवाइस बनाया है जिससे वाहन चोरी की घटनाओं पर लगाम लग सकती है। इस डिवाइस को वाहन में लगाने के बाद उसे चुराना या उसके पार्ट्स काटकर बेचना मुश्किल हो जाएगा। अगर कोई चोर उस वाहन को चुरा भी ले जिसमें यह लगा है तो वह उसे कहीं बेच नहीं पाएगा।

चेतना राठौर, नोएडा। लोग अपने वाहन चोरी होने के डर से हर संभव उपाय करते हैं, लेकिन शातिर चोर जनता और पुलिस दोनों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। वाहन चोरी की बढ़ती घटनाओं के बीच पुलिस के लिए उन वाहनों को बरामद करना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि कई बार वाहनों को काटकर उनके पार्ट्स बेच दिए जाते हैं।
पार्ट्स काटकर बेचना होगा मुश्किल
वाहन मालिकों और पुलिस की इस परेशानी को दूर करने के लिए राजकीय महाविद्यालय, नोएडा के कंप्यूटर साइंस विभाग के वैज्ञानिक ने एक खास डिवाइस बनाई है। इसे वाहन में लगाने के बाद उसे चुराना या उसके पार्ट्स काटकर बेचना मुश्किल हो जाएगा।
इस डिवाइस की खासियत यह है कि अगर कोई चोर उस वाहन को चुरा भी ले जिसमें यह लगा है तो वह उसे कहीं बेच नहीं पाएगा। उदाहरण के लिए इंजन में चिप लगी होगी। ऐसे में अगर इस इंजन का इस्तेमाल किसी और वाहन में किया जाता है तो उसमें वह इंजन काम नहीं करेगा। कबाड़ वाले को बेचने पर भी कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि यह उपकरण उसके आगे बेचने के काम नहीं आएगा।
भुगतान प्राप्त करने की प्रक्रिया भी पूरी
इस डिवाइस में चिप में एक खास तरह की कोडिंग की गई है। साथ ही इसे वाहन के जिस हिस्से में लगाया गया है, वहां से इसे हटाया नहीं जा सकता। सिस्टम फॉर प्रिवेंटिंग थेफ्ट ऑफ व्हीकल नाम की इस डिवाइस को नोएडा के सेक्टर 39 स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। शिशुपाल सिंह ने विकसित किया है। भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय से मंजूरी मिलने के बाद इस इनोवेशन के लिए भुगतान प्राप्त करने की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है।
मेन कंट्रोलर से लिंक होगी वायरलेस चिप
डॉ शिशुपाल बताते हैं कि अगर चोर चोरी की गाड़ी का इस्तेमाल करता है तो उसे उस गाड़ी को चलाने में दिक्कत होगी। पुलिस के लिए भी यह डिवाइस काफी उपयोगी साबित होने वाली है। इस डिवाइस में तीन वायरलेस चिप और एक कंट्रोलर है। इन तीनों चिप को गाड़ी के चेसिस, इंजन और नंबर प्लेट पर लगाया जाएगा। इसके बाद इन्हें मेन कंट्रोलर से जोड़ दिया जाएगा।
इसके इस्तेमाल से पुलिस चोरी की गाड़ी की पहचान भी कर सकेगी। इस चिप जैसी डिवाइस को फास्ट ट्रैक रीडर की तरह पढ़ा जा सकेगा। अगर चोरी की गाड़ी या उसके पार्ट्स का इस्तेमाल हो रहा है तो जांच के दौरान इस चिप की मदद से पुलिस को पता चल जाएगा कि यह गाड़ी या उसके कुछ पार्ट्स चोरी की है या नहीं। इस डिवाइस को और अपडेट करने पर भी काम किया जा रहा है। जिससे भविष्य में इस डिवाइस की लोकेशन का भी पता लगाया जा सकेगा।
इसके बाद गाड़ी चोरी होने की संभावना और भी कम हो जाएगी। इस डिवाइस की कीमत को लेकर प्रोफेसर शिशुपाल कहते हैं कि अभी कीमत तय नहीं हुई है, ऑटोमोबाइल कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है।
सबसे ज्यादा चोरी होती हैं ये गाड़ियां
आपको बता दें कि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा वाहन चोरी दिल्ली में होती हैं। एक निजी कंपनी द्वारा किए गए सर्वे में पता चला कि एनसीआर में सबसे ज्यादा पांच गाड़ियां चोरी होती हैं। चार पहिया वाहनों में मारुति वैगन आर और स्विफ्ट, हुंडई क्रेटा, हुंडई सैंट्रो, होंडा सिटी, हुंडई आई10 हैं। दो पहिया वाहनों में हीरो स्प्लेंडर, होंडा एक्टिवा, बजाज पल्सर, टीवीएस अपाचे और रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 हैं।
'इस डिवाइस को बनाने में करीब एक साल का समय लगा है। हर महीने वाहन चोरी की घटनाएं सामने आती हैं। इसे रोकने के लिए यह डिवाइस बनाई गई है। इसका पेटेंट भी भारत सरकार से मिल चुका है।'
डॉ. शिशुपाल सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, कंप्यूटर साइंस विभाग, नोएडा
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